जमशेदपुर
स्वर्गीय आनंदमार्गी राधा देवी का निधन ह्रदय गति रूक जाने के कारण हुआ था पिछले दिनों स्वर्णरेखा श्मशान घाट पर आनंद मार्गी पद्धति से दाह संस्कार किया गया एवं आज उनके निवास स्थान पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गोविंदपुर प्रतिभा लाइब्रेरी के पास में स्वर्गीय राधा देवी जी का श्राद्धनुष्ठान का कार्यक्रम आचार्य पारसनाथ एवं आचार्य नवरुणानंद अवधूत ने संपन्न करवाया बिना श्राद्ध भोज के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न हुआ आनंद मार्गी राधा देवी का श्राद्ध अनुष्ठान
सबसे पहले ईश्वरप्रणीधान के बाद श्राद्ध का मंत्र आचार्य पारसनाथ के द्वारा उच्चारित किया गया उसके बाद उपस्थित लोगों ने भी मंत्र का उच्चारण किया मंत्र. “ॐ मधु वाता ऋतायते मधुं क्षरन्तु सिन्धवः ।
माध्वीर्नः सन्त्वोषधीः
मधु नक्तमुतोषसो मधुमत्पार्थिवं रजः ।
मधु द्यौरस्तु नः पिता ।।
मधुमान्नो वनस्पति र्मधुमान् अस्तु सूर्यः ।
माध्वीर्गावो भवन्तु नः ॥
ॐ मधु ॐ मधु ॐ मधु ” हे परमेश्वर हम लोगों के परम आत्मीय राधा देवी की विदेही आत्मा आज मरणसील जगत के ऊपर जगत के सुख -दुख से बाहर है |हे परमेश्वर उनकी अमर आत्मा उत्तरोत्तर प्रसार लाभ करें | आचार्य नवरुणानंद अवधूत ने कहा कि श्राद्ध से विदेही आत्मा का कोई फायदा नहीं होता श्राद्धकर्ता की मानसिक शांति के लिए होता है शोक समय में अपने को व्यर्थ कष्ट देना या लोगों को दिखाने के उद्देश्य से बेवजह कोई काम नहीं करना चाहिए शोक का समय 12 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए 12 दिन के भीतर ही किसी भी दिन सुविधानुसार श्राद्धकर्म संपन्न कर सकते हैं अंत में. “सर्वेत्र भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
न कश्चिद् दुःख माप्नुयात्
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः” कार्यक्रम में मुख्य रूप से आचार्य नवरुणानंद अवधूत ,स्वर्गीय राधा देवी के पति रामनंदन जी आचार्य पारसनाथ , भूक्ति प्रधान सुधीर जी एवं योगेश जी तथा गोविंदपुर के लोग इस श्राद्ध कार्यक्रम में भाग लिए