जमशेदपुरः
जमशेदपुर की सिख संगत में पिछले डेढ़ सालों से तख्त साहेब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर द्वारा बनाई गई पांच सदस्यीय सीजीपीसी संचालन समिति को लेकर ऊहापोह बनी हुई थी. उक्त समिति के बनने के बाद ही जमशेदपुर में सिखों के दो गुट हो गए थे, जिसके कारण आए दिन सिख राजनीति में हलचल बनी रहती थी. यहां तक कि यह भी देखा गया कि सीतारामडा समेत कई गुरुद्वारों में दो गुटों को लेकर विवाद भी होते रहता था. गुरुवार को तख्त साहिब में जमशेदपुर के दो गुटों को लेकर चल रहे विवाद को लेकर करीब सात घंटे तक कार्यकारी जत्थेदार बलदेव सिंह के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बैठक ली. इस बैठक में जो निष्कर्ष निकलकर सामने आया है उसके मुताबिक पांच सिंह साहिबानों के हुक्मनामे के मुताबिक शैलेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय सीजीपीसी संचालन कमेटी का ही सूपड़ा साफ हो गया है. क्योंकि पांच सिंह साहिबानों ने पूर्व जत्थेदार के निकाले गए सभी आदेशों को रद्द कर दिया गया है. ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो गुरमुख सिंह मुखे को राहत ही राहत है. यानी उनकी सीजीपीसी की प्रधान की कुर्सी बरकरार है. उन्हें ही संविधान के अनुसार चुनाव की घोषण करनी है. अगर इस समय अविध में मुखे चुनाव करा देते हैं तो सारे विवाद खत्म हो जाएंगे. मुखे के साथ सीजीपीसी का प्रबंधन पांच मेंबरी के पास भी होगा. उधर, शैलेंद्र गुट ने पटना में जत्थेदार, महासचिव समेत कई को कृपाण शॉल देकर सम्मानित किया. वहीं, मुखे को भी पटना साहिब में सम्मानित किया है.
नई पांच मेंबरी कमेटी में नरेंद्रपाल सिंह की एंट्री ने चौकाया
जमशेदपुर के सिख नेताओं के विवाद को समाप्त करना तख्त साहेब का मुख्य एजेंडा था. पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बैठक में भाग लेने के लिए ही दोनों गुटों के लोग एक दिन पहले ही पटना पहुंच चुके थे. मुखे के करीब 60 समर्थक पटना गए थे, जबकि विपक्षी खेमे के भी 40 के लगभग समर्थक थे. यह तो तय था कि नगर कीर्तन निकाले जाने को लेकर दोनों पक्षों को लेकर पांच मेंबरी कमेटी की घोषणा की जाएगी. इस बीच पांच मेंबरी कमेटी में विपक्षी खेमे के दो प्रतिनिधियों का नाम चला, लेकिन एक को साबत सूरत नहीं होने व दूसरे दूसरे एक अन्य को कमेटी में शामिल नहीं किया गया. नई कमेटी में जुगसलाई के नरेंद्रपाल सिंह भाटिया जो कि पटना में भी नहीं थे. पटना के ही एक पहुंचे शख्स के कहने पर भाटिया का नाम कमेटी में शामिल करा दिया. जिससे सिख नेता चौंक गए. बता दें कि भाटिया स्टेशन रोड गुरुद्वारा के वरीय उपाध्यक्ष हैं.
मुखे-बिल्ला प्रकरण पर नो कमेंट
पटना साहिब में गुरुवार को मुखे और बिल्ला के प्रकरण पर भी कुछ निष्कर्ष निकलना था, क्योंकि बिल्ला पर हुई फायरिंग की घटना का हवाला देकर ही विरोधी मुखे पर हावी थे और पटना साहिब में उनकी शिकायतें हुई थी. लेकिन बैठक में मुखे-बिल्ला प्रकरण में कोई भी कॉमेंट नहीं हुआ. हांलाकि बिल्ला की ओर से कई कड़े सबूत वहां पेश किए गए.
क्या कहते हैं सिख नेता
तख्त साहिब के फैसला का सम्मान करते हैं. अब जमशेदपुर में शांति पूर्ण ढंग से नगर कीर्तन निकलेगा. भगवान सिंह, सीजीपीसी प्रधान पद के उम्मीदवार