Ashok Kumar
जमशेदपुर : सुंदरनगर के नीलडुंगरी गांव में 6 मई को एक पेड़ पर गमछा के सहारे आत्महत्या करने वाले जीतु (35) के शव का अंतिम संस्कार करने के लिये भी उसके बहनोई के पास रुपये नहीं थे. आर्थिक तंगी के कारण उसके बहनोई भी ओड़िशा से सुंदरनगर नहीं आना चाह रहे थे, लेकिन थाना प्रभारी प्रभात कुमार के कहने पर वे लोग आ गये. परिवार के लोग बड़ाबांकी लखनऊ उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.
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बहनोई की जेब में था सिर्फ 10 रुपये
बहनोई ने साफ कहा कि जेब में मात्र 10 रुपये ही बचा है. वे शव कैसे लेकर जायेंगे और अंतिम संस्कार कैसे करेंगे. बहनोई ने ही कहा कि अगर यहीं पर अंतिम संस्कार हो जायगा तो उनकी समस्या का समाधान हो जायेगा. इसकी जानकारी मिलने पर संस्था अंत्योदय की ओर से अंतिम संस्कार का बीड़ा खुद उठाया गया और पार्वती घाट पर अंतिम संस्कार कराया गया.
टिकट के लिये भी नहीं था रुपये
जीतु के बहनोई के साथ और दो लोग भी आ गये थे, लेकिन सभी आर्थिक रूप से तंग थे. किसी के पास भी वापस ओड़िशा जाने के लिये रुपये नहीं थे. इसपर थाना प्रभारी ने आर्थिक रूप से सहयोग कर सभी को ओड़िशा भेजा. इस बीच सभी को भोजन भी कराया.
माता-पिता का पहले ही हो चुका है निधन
ओड़िशा से आये जीतु के परिवार के लोगों ने बताया कि माता-पिता का पहले ही निधन हो गया है. सूचना मिलने के बाद भी इस कारण से नहीं आना चाहते थे क्योंकि वे आर्थिक रूप से पूरी तरह से तंग हैं. फटे हाल में वे किसी तरह से सुंदरनगर पहुंचे थे. उनकी गरीबी उनके चेहरे और कपड़े से ही झलक रही थी.
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