जमशेदपुर। भारत की सनातन धर्म अपने गौरवशाली ऋषि परंपरा के साथ भक्ति और शक्ति का समन्वय करता हुआ आज विश्व के कोने-कोने में फैल रहा है। सनातन धर्म की ध्वजा को गांव से शहर और शहर से देश एवं विदेश ले जाने में सतत प्रयासरत अयोध्या की प्रसिद्ध राम कथा वाचक पंडित गौरंगी गौरी जी ने रविवार को प्रेस-वार्ता को संबोधित किया। सूर्य मंदिर समिति के तत्वावधान में राम मंदिर स्थापना के तृतीय वर्षगांठ पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा में भाग लेने जमशेदपुर आयी पंडित गौरांगी गौरी ने जमशेदपुर शहर एवं यहां के लोगों की खुले मन से प्रशंसा की। इस दौरान सूर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह एवं मीडिया प्रभारी प्रेम झा व अन्य मौजूद थे। साकची स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में कथा को लेकर पहली बार आना हुआ। जिसमें काफी आनंद और प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। यहां के लोगों में सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति जो उत्साह, ऊर्जा, श्रद्धा, भाव, प्रेम और समर्पण दिखता है ऐसा विरले ही कहीं दिखता है। आयोजन के प्रथम दिन कलश यात्रा में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़ और नाचते-गाते आनंदित लोग की जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। कहा कि जमशेदपुर शहर को लौहनगरी के नाम से जाना जाता है, परंतु यहां के लोगों की भक्ति भावना को देखकर इसे भक्तिनगर की उपाधि दे दी जानी चाहिए। जमशेदपुर वासियों पर प्रभृ श्रीराम की विशेष कृपा है। मेरा सौभाग्य है कि यहां आकर कथा कहने का अवसर मिला। यहां की माताएं-बहनें जिस तरह से एकाग्रचित्त, प्रसन्नचित होकर कथा सुनते हैं, उनमें चार घंटे की कथा भी कम है।
पंडित गौरांगी गौरी ने सिदगोड़ा स्थित सूर्यधाम की भी प्रशंसा की। उन्होंने सूर्य मंदिर परिसर को दार्शनिक और आस्था का प्रतीक बताया। कहा कि सूर्य मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की भक्ति भावना भी अति प्रेरक है। कलश यात्रा के दौरान श्रीरामचरितमानस को सिर पर लेकर नंगे पांव पैदल कई किलोमीटर की यात्रा कर सूर्यधाम आना और प्रतिदिन कथा में शामिल होकर कथा श्रवण करने जैसी विलक्षण भावना किसी नेता-मंत्री में शायद ही देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि कहा गया है जैसी राजा होगी वैसी प्रजा होगी, रघुवर दास का अर्थ ही रघुनाथ के दास हैं। जीवन में नाम का काफी प्रभाव पड़ता है। नवधा भक्ति के नौवें प्रकार में सरलता को बताया गया है। जीवन में सबसे कठिन है सरल बनना।
पंडित गौरांगी गौरी जी ने शहर के युवाओं की धार्मिक एवं सामाजिक सक्रियता की सराहना की। उन्होंने राष्ट्र की एकता के लिए सनातन धर्म के आदर्शों, मूल्यों और संस्कृति से जुड़ने का आह्वान किया। कहा कि सभ्य समाज के निर्माण के लिए युवा वर्ग को सामाजिक और धार्मिक कार्यों से जुड़ना होगा। युवा नशे से दूर रहकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के करीब रहेंगे तो देश, समाज का कल्याण होगा। कलियुग में युवा धर्म के मार्ग से भटक रहे हैं। पंडित गौरांगी गौरी ने बढ़ते धर्मांतरण और लवजेहाद के बढ़ते मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि इन सबके दुष्परिणाम हम रोज देख रहे हैं। अब सचेत होने का समय आ गया है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होते देखना सौभाग्य की बात: करोड़ों भारतीयों की अभिलाषा और सदियों के संकल्प के प्रतीक प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण होते देखना सौभाग्य की बात है।
पंडित गौरांगी गौरी जी का जीवन परिचय: पंडित गौरांगी गौरी जी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली है। श्री अयोध्या धाम से उन्होंने अपने गुरुदेव से शिक्षा ली और मंत्र लिया। बहुत कम उम्र में इन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। जमशेदपुर आने से पूर्व यूरोप के नीदरलैंड में राम कथा, लंदन में कथा करने के साथ देश के विभिन्न कोनों में राम कथा के जरिये धर्म जागरण का कार्य कर रहे हैं। पंडित गौरांगी गौरी जी अयोध्या में आश्रम संचालित करती हैं और अपने ट्रस्ट के माध्यम से नारी सशक्तिकरण, जन जागरूकता अभियान, युवाओं को नशामुक्ति से दूर करने करने के अभियान एवं गौ सेवा के कार्य कर रहे हैं। पंडित गौरंगी गोरी को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूरोप ने उनके कार्य पद्धति एवं धर्म के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण की भावना को देखते हुए हिन्दू स्कॉलर अवार्ड से सम्मानित किया है।