Jamshedpur : दक्षिण भारत के तेलुगु समाज ने सोमवार को अपनी परंपरा के अनुसार नागल चौती पर नाग देवता की पूजा-अर्चना की। यह कार्तिक की चतुर्थी की तिथि को मनाई जाती है। समाज के लोग इस दिन सांप के बिलों में विशेष पूजा -अर्चना करते है। समाज के सदस्य साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर यह पूजा करते हैं। इसके लिए सांप के बिल की पहचान करते हैं। कान में दर्द न हो तथा लोग स्वस्थ्य रहे इस कारण यह पूजा की जाती है।
कैसे होती है पूजा अर्चना
सर्वप्रथम साप के बिल के ऊपरी हिस्सों को तोड़कर पानी डालकर उसे साफ -सुथरा किया जाता है। इसके बाद दीप जलाकर तथा लाल रंग की नए गमछे रखकर पूजा की गई। बिल में तिल व गुड़ के मिश्रण से बने छोटे-छोटे लड्डू, केला, दूध तथा पानी सर्प देवता को अर्पित किए गए। सभी विधि-विधान पूरे होने के बाद सांप के बिल की मिट्टी को कान पर लगाया गया ताकि कान में दर्द न हो। नागल चौती पर तेलगु समाज के लोगों ने मानगो, जुबिली पार्क, बारीडीह, बिरसानगर, टेल्को थीम पार्क, बागबेड़ा, कीताडीह, लोको कालोनी, परसुडीह, कदमा, सोनारी स्थित सांपों के बिल पर पूजा अर्चना की। समाज के सदस्य यह पूजा सर्पदेवता को खुश रखने तथा परिवार में सुख-शाति की कामना के लिए करते हैं।