जमशेदपुर
भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के यंग इंडियंस (वायआई) के साथ मिलकर शनिवार को अरका जैन यूनिवर्सिटी गम्हरिया में एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्र के युवा विशेषज्ञों ने
भविष्य के लिए व्यापार को फिर से तैयार करना (रिइमेजिंग बिजनेस फॉर फ्यूचर) विषय पर अपनी बात रखी. जी-20 के तहत देश भर में हो रहे वाय-20 का यह पहला सत्र जमशेदपुर में हुआ. स्वागत भाषण यंग इंडियंस जमशेदपुर चैप्टर के चेयर प्रतीक अग्रवाल ने दिया जबकि संचालन राजीव शुक्ला ने किया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन यंग इंडियंस जमशेदपुर के को चेयर उदित अग्रवाल ने किया.
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भविष्य का वर्कप्लेस पूरी तरह से बदल जाएगा-नलिन
द स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली के पूर्व छात्र और टेरी विश्वविद्यालय से नवीकरणीय ऊर्जा में मास्टर डिग्री करने वाले नलिन गोयल ने भविष्य के वर्कप्लेस की झलक दिखाई और बताया कि समय के साथ हमारा कार्यस्थल कैसे बदल रहा है. उन्होंने बताया कि सत्रहवीं शताब्दी में नेवी के पेपरवर्क करने के लिए पहली बार ऑफिस की परिकल्पना की गई. कालांतर में औद्योगीकरण और शहरीकरण ने टेलरिज्म को बढ़ावा दिया. मगर लिफ्ट के अस्तित्व में आने के बाद ऑफिस को वर्टिकल ऊंचाई मिली और ऑफिस कई मंजिला होने लगा. फिर क्यूबिकल ऑफिस का प्रचलन बढ़ा, मगर इंटरनेट और कम्प्यूटर के आने के बाद एजाइल वर्किंग की मांग बढ़ी, जिसे हॉट डेस्किंग भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि आपको जहां खाली जगह मिलें, वहीं पर बैठकर काम कर लें. कोई निश्चित जगह नहीं होता. अमेरिका के सिलिकन वैली ने ऑफिस की गंभीरता को कम किया और फन विथ ऑफिस का प्रचलन बढ़ा, जहां काम के साथ रिक्रिएशन के भी काफी साधन मौजूद होते थे. नलिन गोयल ने बताया कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) के चलते ओजोन परत में हो रहे छेद ने दुनिया को सस्टेनेबिलिटी की ओर सोचने को मजबूर किया. इसके बाद ऑफिस ग्रीन होने लगे, मगर कोविड के बाद वर्कप्लेस की परिभाषा पूरी तरह से बदल गई. पहली बार कंपनियों को लगा कि घर बैठे भी काम हो सकता है. वर्क फ्रोम होम का ट्रेंड बढ़ा, ऑफिस की रिजिडिटी खत्म हुई और वह वर्क लाइफ बैलेंस को ज्यादा महत्व मिलने लगा. उन्होंने बताया कि भविष्य का वर्कप्लेस छोटे शहर और कस्बे होंगे. बड़े-बड़े शहरों पर वर्कप्लेस का जो दबाव था, वह कम होगा. इंटरनेट की तेज स्पीड और बेहतर ट्रासपोर्टेशन होने से लोग छोटे शहरों, यहां तक कि लोग अपने गांव में बैठकर भी काम कर सकेंगे, जो होने लगा है.
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तकनीक ऐसी हो, जो मानव श्रम को और डिग्निटी प्रदान करें-प्रतीक जवानपुरिया
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया में प्रिंसिपल एप्लाइड साइंटिस्ट प्रतीक जवानपुरिया ने एक्सेलेरेटेड डिजिटाइजेशन पर अपना विचार रखा. उन्होंने डिजिटाइजेशन और डिजिटलाइजेशन के फर्क को बताया और कहा कि डेटा के बड़ी मात्रा में प्रोसेसिंग होने का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने बताया कि कैसे अब डेटा को पर्सनलाइज्ड कर उसे बिजनेस का रूप दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि डेटा सिक्यूरिटी के एडवांस होने के बाद पेमेंट सिस्टम और ई फाइलिंग सिस्टम में जबर्दस्त बदलाव आया है. अंत में उन्होंने कहा कि तकनीक वैसी हो, जो मानव श्रम को और डिग्निटी प्रदान करें.
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बेहतर मानव संपदा के लिए नॉलेज, स्किल और एटीट्यूड जरूरी-फादर मुक्ति
एक्सआईटीई गम्हरिया के प्रोफेसर फादर मुक्ति ने इन्टेलेक्चुअल कैपिटल एंड पीपुल विषय पर अपनी राय रखी. उन्होंने पूंजी की अवधारणा बताई और कहा कि मानव संपदा में नॉलेज, स्किल और एटीट्यूड तीनों का समावेश होना जरूरी है. उन्होंने हर युवा को हीरो यानि एच फॉर होप, ई फॉर इफिकेसी, आर फॉर रिजिलीएंस और ओ फॉर ऑप्टिमिज्म का पाठ बढ़ाया.
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नॉलेज मैनेजमेंट जरूरी-विशाल वत्स
एक्सआईएसएस रांची से पढ़ाई कर इस्पात निर्माण उद्योग में काम करने वाले मानव संसाधन प्रबंधक विशाल वत्स ने बौद्धिक संपदा पर अपना विचार व्यक्त किया. उन्होंने बौद्धिक संपदा के विभिन्न प्रकारों के साथ नॉलेज मैनेजमेंट की बात कही. वत्स ने बौद्धिक संपदा को बनाने के साथ ही उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर खरा उतरने की बात भी कही.
इनोवेटिव है तो पूंजी की कमी नहीं-विशाल अग्रवाला
यंग इंडियंस के नेशनल वाइस चेयरमैन विशाल अग्रवाला ने पर्पसफूल इनोवेशन पर अपनी बात रखी और कहा कि अगर आप इनोवेटिव और क्रिएटिव है तो आज की दुनिया में पूंजी की कमी नहीं है. उन्होंने दुनिया के विभिन्न लीडरों की मिसाल दी और बताया कि कैसे उन्होंने इनोवेशन की बदौलत अपना ब्रांड बनाया.
मकसद हो तो पूंजी का प्रतिबंध हो जाता है-अंकित
हर्बिनो के संस्थापक और सीईओ अंकित प्रताप सिंह ने रिइन्फोर्सिंग सस्टेनेबिलिटी पर अपनी बात रखी और बताया कि कैसे वे कृषि के क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दे रहे हैं. सिंह ने अपनी विदेश में हुई पढ़ाई के जरिए बताया कि कैसे वे पढ़ाई के दौरान सस्टेनेबिलिटी के प्रति संवेदनशील बनें. उन्होंने कहा कि अगर आपकी जिंदगी में मकसद है तो फिर पूंजी का प्रबंधन हो जाता है. बायो डीजल बनाने वाले अंकित ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम ईंधन में आत्मनिर्भर बनें.