जमशेदपुर।
देश की स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का आह्वान किया गया है। इस अभियान में जे.एस.एल.पी.एस की सखी मंडल की महिलाएं एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह सखी मंडल की महिलाओं ने मास्क बनाकर अपने जज्बे और हुनर का परिचय दिया, उसी तरह एक बार फिर राष्ट्रध्वज की शान के लिए अलख जगाने का बीड़ा भी उन्होंने उठाया है। हर घर तिरंगा अभियान की सफलता के लिए जिले की सखी मण्डल की महिलाओं को भी तिरंगा निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है जिसके लिए घाटशिला प्रखंड में स्थापित TPC (परिधान उत्पादन ट्रेनिंग-सह-प्रोडक्शन सेंटर) में 30 दीदियां दिन रात जुटकर काम कर रहीं हैं।
▪️इस मौके पर सखी मंडल की सभी दीदी की हौसलाअफजाई करते हुए जिला उपायुक्त श्रीमती विजया जाधव ने कहा कि ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के तहत तिरंगा निर्माण से जुड़ी सभी महिलाओं का योगदान काफी उल्लेखनीय है। जिलेवासियों से भी अपील है कि अपने अपने घरों में ध्वजारोहण कर ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम में सहभागी बनें और आजादी का अमृत महोत्सव हर्षोल्लास से मनायें।
🇮🇳राष्ट्रध्वज निर्माण के लिए महिलाओं को दी गई खास ट्रेनिंग
तिरंगा निर्माण बहुत ही सम्मान के साथ-साथ जिम्मेदारी का कार्य होता है। इसलिए तिरंगा निर्माण से जुड़ी इन ग्रामीण महिलाओं को ‘ध्वज कोड 2002’ के मानकों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज निर्माण हेतु प्रशिक्षित किया गया है। तिरंगा निर्माण से जुडी चांदनी भगत ने बताया कि ‘झंडा बनाने के पहले हमें ट्रेनिंग देकर बताया गया की, तिरंगा का अनुपात 3:2 रखना है , सिलाई के समय ध्यान रखना है की अलग रंग के धागे एक दूसरे में न जुड़े आदि जैसी कई अहम बातें बताई गई। हम सभी माहिलाएं इस कार्य से जुड़कर बहुत खुश तथा इस अभियान में अपनी सहभागिता को लेकर भी काफी गौरवान्नित महसूस कर रही हैं। देश के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर घर तिरंगा फहराया जाएगा। यह तिरंगा हमारे हाथों से तैयार होकर जाएगा, इससे बड़ी बात और क्या होगी। कोरोना के समय भी हमने मास्क बनाकर देश की सेवा में अपना योगदान दिया था लेकिन राष्ट्रध्वज को तैयार करने के इस कार्य में एक अलग ही खुशी महसूस हो रही है ।हमने राष्ट्रध्वज के नियम- कायदों को पहले समझा और इन्हें तैयार करने में जी-जान से मेहनत कर रहें है।“
तिरंगा को अंतिम रूप देने से पहले कई स्टेज पर काम होता है, जैसे सिलाई के लिए गाइड लाइन का पालन करते हुए मशीन से सही आकर में कपड़ा काटा जाता है, इसके बाद महिलाओं द्वारा सिलाई की जाती है। सिलाई उपरांत इसकी जांच की जाती है की कही कोई त्रुटी ना हो इसके बाद आखिरी स्टेज में स्क्रीन प्रिंटिंग के जरिये आशोक चक्र बनाकर इसकी पैकेजिंग की जाती है। यह सारा काम महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है।
🇮🇳तिरंगा निर्माण के साथ ही घर-घर लोगों को जागरूक भी कर रहीं हैं समूह की महिलाएं
हर घर तिरंगा अभियान के तहत TPC में निर्मित यह झंडे संकूल स्तरीय संगठन के जरिये सभी सखी मंडल सहित सभी घरों तक पहुचाएं जायेंगे। सखी मंडल की यह महिलाएं सिर्फ राष्ट्रध्वज का निर्माण नहीं बल्कि आजादी के 75वें वर्षगांठ पर लोगों के घरों में जाकर उन्हें पोस्टर, बैनर्स, वीडियो आदि के माध्यम से राष्ट्रध्वज के महत्व और उसकी गरिमा के विषय में जानकारी भी दे रहीं हैं। प्रभात फेरी, रैली, स्कूटी-रैली, रंगोली प्रतियोगिता, मेहंदी प्रतियोगिता, क्विज, पेंटिंग आदि के माध्यम से भी ये ग्रामीण महिलाएं 4 अगस्त से लेकर 14 अगस्त तक ग्रामीण क्षेत्रों में “हर घर तिरंगा” अभियान के तहत जागरूकता लाएंगी।