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जमशेदपुर पश्चिमी घोड़ाबांधा पंचायत : फर्जी ग्रामसभा के जरिये अभिकर्ता चयन का मामला गरमाया, सीएम से लेकर डीसी तक शिकायत, न्यायालय में शिकायतवाद दाखिल करने की तैयारी में भाजपा नेता अंकित आनंद
जमशेदपुर : जमशेदपुर प्रखंड के पश्चिमी घोड़ाबंधा ग्राम पंचायत में फर्जी ग्रामसभा के मार्फत 15 वें वित्त योजना के लाभुक समिति चयन में फर्जीवाड़ा और अनियमितता करने का मामला सामने आया है. वित्तीय गड़बड़ी की आशंका और पद के दुरूपयोग की संभावनाओं के मद्देनजर रविवार को ही भाजपा नेता सह व्हिसलब्लोअर अंकित आनंद ने इसकी गोपनीय शिकायत कर दी थी. वहीं शिकायत के अगले ही दिन जानकारी मिलते ही जल्दबाजी में मुखिया और पंचायत सचिव ने सोमवार देर शाम को एक सूचना नोटिस जारी किया. उसमें 12 अक्टूबर को दोबारा ग्रामसभा की बैठक बुलाई गई है. गुरुवार की सुबह को एकबार फिर से इस ग्रामसभा की बैठक की जांच पूर्ण होने तक स्थगित करने की मांग करते हुए अंकित आनंद ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित जिला उपायुक्त व बीडीओ का ट्वीट करते हुए संज्ञान लेने का आग्रह किया है. (नीचे भी पढ़ें)
मालूम हो कि भाजपा नेता अंकित आनंद ने रविवार को जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री सहित जमशेदपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी को ईमेल के मार्फत प्रेषित शिकायत पत्र में पश्चिमी घोड़ाबंधा ग्राम पंचायत में कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों पर पद का दुरूपयोग कर वित्तीय भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था. शिकायत पत्र में बताया गया कि 15 वें वित्त योजना अंतर्गत पंचायत में विभिन्न योजनाओं के लिए अभिकर्ता का चयन होना है, लेकिन बगैर ग्रामसभा के अभिकर्ता पहले ही चुन लिए गये. साथ ही, उन अभिकर्ताओं को वर्क ऑर्डर देने के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज पंचायत सचिव और मुखिया ने जमा लिया है. मामले की जानकारी मिलते ही वित्तीय भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की मांग करते हुए भाजपा नेता ने रविवार को इसकी शिकायत जिला उपायुक्त से किया था. उधर प्रखंड कार्यालय को भेजी गई गुप्त शिकायत की जानकारी लीक होते ही जल्दबाजी में मुखिया और पंचायत सचिव ने अगले ही दिन संयुक्त हस्ताक्षर से एक नोटिस तैयार किया. उसमें बताया गया कि 12 अक्टूबर को संबंधित योजनाओं के चयन के लिए ग्रामसभा की बैठक तय की गई है. (नीचे भी पढ़ें)
पंचायत सचिव ने व्हाट्सएप के मार्फत इस आशय की जानकारी भाजपा नेता अंकित आनंद को दिया तो जवाब में उन्हें अंकित ने बताया कि उन्हें इस गड़बड़ी की संभावना पहले ही थी, इसलिए जिला उपायुक्त से जांच की मांग करते हुए गोपनीय शिकायत कर दी गई है. जांच पूर्ण होने तक ऐसी किसी भी बैठक पर स्वतः रोक लगनी चाहिये और अमान्य करार दिये जायेंगे. फिर भी यदि पंचायत द्वारा मनमानी की जाती है तो ग्रामसभा के निर्णय पर अपीलीय प्राधिकार के समक्ष 30 दिनों के अंदर पुनर्विचार अपील की जायेगी. झारखंड पंचायती राज अधिनियम में यह प्रावधान है कि किसी ग्रामसभा को वैध करने के लिए कुल सदस्यों की एक तिहाई लोगों की उपस्थिति जरूरी होती है. वहीं ग्रामसभा के निर्णय से किसी पक्षकार की असहमति की स्थिति में पक्षकार द्वारा न्यायालय, अनुमंडल पदाधिकारी एवं थाना प्रभारी या किसी सक्षम प्राधिकार के समक्ष 30 दिनों के अंदर पुनर्विचार के लिए अपील किया जा सकता है.