Ashok Kumar
जमशेदपुर : कहने को तो एमजीएम अस्पताल को कोल्हान का सबसे बड़ा अस्पताल का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां की व्यवस्था को सबसे ज्यादा रोगी ही कोसते हैं. अस्पताल में ईलाज कराने के लिये पहुंचने वाले रोगी तो पहले से ही यहां की दुर्गंध से परेशान रहते हैं, लेकिन इन दिनों तो शव की दुर्गंध से मरीजों को खासा परेशानी हो रही है. अस्पताल में रोगी अपना ईलाज क्या करवायेंगे. वे तो दुर्गंध से ही भागने को मजबूर हैं.
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दो सप्ताह से पड़ा हुआ है शव
एमजीएम अस्पताल के मोर्चरी में पिछले दो सप्ताह से एक अज्ञात व्यक्ति का शव पड़ा हुआ है. इसकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है. यह मरीजों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है. इसकी जानकारी अस्पताल के डॉक्टरों को भी है, लेकिन वे भी इस दिशा में किसी तरह की पहल नहीं कर रहे हैं.
सरकारी अस्पताल है कैसी व्यवस्था होगी
अस्पताल के पीछे सालाना करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं. वर्तमान में शहर के ही बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य मंत्री बने हुये हैं. बावजूद अस्पताल का कायापलट नहीं हो पा रहा है. करोड़ों रुपये खर्च के बावजूद रोगी बेहतर ईलाज से वंचित हो रहे हैं. अगर बेड पर कोई भर्ती भी है तो उसकी सुधि लेने का काम नहीं किया जाता है. पहले से ही इस तरह की व्यवस्था कोल्हान के इस बड़े अस्पाल की है. वही व्यवस्था आज भी बदस्तुर जारी है.
एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी कर रहे अस्पताल प्रबंधन और साकची पुलिस
पूरे मामले में जब अस्पताल प्रबंधन रविंद्र कुमार से संपर्क किया गया तब उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन का कोई दोष नहीं है. इस मामले में साकची थाना से ही शव उठाने का परमिशन नहीं मिला है. वहीं दूसरी ओर साकची थाना प्रभारी संजय कुमार से संपर्क करने पर उन्होंने बताया उनकी तरफ से शव से संबंधित कोई भी काम निबटाने के लिये 5 से 7 मिनट तक का ही समय लगता है. पुलिस की इसमें कोई लापरवाही नहीं है. एमजीएम प्रबंधन समझें. कुल मिलाकर दोनों तरफ से एक-दूसरे का मामला बताकर फेंका-फेंकी की जा रही है और परेशानी अस्पताल के रोगियों को हो रही है.
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