जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में 12 से 18 मार्च तक चल रही श्रीराम कथा में सूरत (गुजरात) से आए परम पूज्य सतश्री प्रवचन दे रहे हैं। कथा के दूसरे दिन सोमवार को सतश्री ने भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया।
उन्होंने कहा कि कौशल्या के उदर में जब श्रीरामचंद्र ने जब प्रवेश किया, उस वक्त पृथ्वी पर पाप काफी बढ़ गया था। मनुष्य से देवता तक चिंतित थे कि इस पाप से मुक्ति कैसे मिलेगी।ऋषियों ने कहा कि भगवान का अवतार होगा, वही पृथ्वी को पाप से मुक्त करेंगे। जब भगवान शंकर से पूछा गया कि भगवान कहां मिलेंगे, तो उन्होंने कहा कि जहां प्रेम प्रकट होगा, भगवान वहीं प्रकट हो जाएंगे। सतश्री ने उदाहरण दिया कि काष्ठ में अग्नि होती है, लेकिन वह दिखाई नहीं देता है, उसे पकड़ने पर दाह या ताप भी महसूस नहीं होता। लेकिन जब उसे जलाया जाता है तो उसी में से अग्नि प्रकट होती है, वही काष्ठ जलकर राख हो जाता है। इसी तरह आप जहां भी निस्वार्थ भाव से भगवान को याद करते हैं, तो भगवान प्रकट हो जाते हैं।सतश्री ने प्रेम, प्यार, प्रीति, अनुराग, आसक्ति, भक्ति आदि की विस्तृत व्याख्या की।अपना सर्वस्व न्योछावर करना ही प्रेम है। प्रेम में त्याग, समर्पण और वैराग्य होता है। उन्होंने प्रेम सूर्योदय और वासना सूर्यास्त है।प्रेम शांति और वासना अशांति उत्पन्न करता है।
अनुष्ठान को सफल बनाने में श्री राम कथा समिति के सुरेश सोंथालिया, राजेश चावडा, किशन सोन्थालिया, महेश सोन्थालिया, विपिन भाई आडेसरा, बीएन शर्मा, जयेश अमीन, भरत वसानी, सत्यनारायण अग्रवाल मुन्ना आदि आदि सक्रिय हैं।