जमशेदपुर।
“पत्रकार साथियों का सारा डाटा और घाटा जानने वाली IPRD सरकार तक पत्रकार साथियों का दुख-तकलीफ पहुँचाने में पूरी तरह विफल है.राज्य में पहले तो एक्रिडेशन का काम ही ढंग से नहीं हो रहा था और अब पत्रकार बीमा पर भी कोई गंभीरता इस विभाग में नजर नहीं आ रही है.अंततः हर जिले में पत्रकार साथियों ने बीमा की इस योजना को पूरी तरह से नकार दिया है.”
AISMJWA के बिहार,झारखंड और बंगाल प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया ने सरकार की एक्रिडेशन और बीमा योजना के विरोध में ऐसा कहा है.उन्होने पत्रकार साथियों को सरकार द्वारा बढा़ये गये प्रीमियम की राशि 3049/-सालाना को लेकर ही उक्त बातें कहीं हैं.उन्होंने कहा कि पत्रकार साथियों और सरकार के बीच कडी़ के रूप में कार्यरत आईपीआरडी केवल सरकार के प्रचार-प्रसार तक ही सीमित हो चुकी है.सरकार द्वारा पत्रकारहित में घोषित सुविधाओं को पत्रकारों तक पहुँचाने या योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए इनके पास कोई नीति ही नहीं बनी है.वे बोले इस विभाग में अधिकारियों को पत्रकार साथियों के दुख-तकलीफ के प्रति थोड़ी भी संवेदनशीलता नहीं रह गयी है.श्री भाटिया ने कहा कि कल मुख्यमंत्री हमारे घर से 150 मीटर की दूरी पर कदमा,जमशेदपुर में समीक्षा बैठक कर ये कह गए कि अधिकारी काम पर ध्यान दें,योजनाओं को गति दें नहीं तो बडे़ पैमाने पर कार्यशैली में बदलाव के लिए कडे़ फैसले लिए जाएंगे.
सीएमओ ने मुख्यमंत्री के इस वक्तव्य को ट्वीटर पर शेयर किया है इस विषय पर ट्वीटर पर कोट कर श्री भाटिया ने कहा है कि सबसे पहले आईपीआरडी में ही बड़े पैमाने पर अधिकारियों के कार्यशैली में बदलाव की जरूरत है.मुख्यमंत्री को ट्वीटर पर आईपीआरडी के खिलाफ श्री भाटिया ने कडे़ शब्दों में कहा है कि यह आपके अधीन एक ऐसा महत्वपूर्ण विभाग है जो आप तक पत्रकार साथियों का दुख पहुँचाने में पूरी तरह विफल है.
श्री भाटिया ने कहा कि आईपीआरडी दर्जनों मीडिया घरानों को साल भर में करोडो़ं-करोड़ का विज्ञापन देती है लेकिन कभी ये जानने का प्रयास नहीं करती कि वे सभी घराने अनुबंध या स्थायी रूप से कार्यरत अपने पत्रकारों को क्या सुविधाएं देती है?क्या सरकार के उस पैसे का सदुपयोग पत्रकारहित में होता है या फिर केवल व्यापारिक उपयोग ही किया जा रहा है?
श्री भाटिया ने कहा कि झारखंड सरकार का श्रम विभाग आज तक क्यों नहीं पूछता कि जब बीमा भी सरकार को ही देना पड़ रहा है तो मीडिया घराने पत्रकारों का केवल इस्तेमाल कर रहे हैं क्या?
पत्रकार बीमा के प्रीमियम को घटाकर 3049/ से 1525/-सालाना किये जाने तक विरोध जारी रहेगा.