जामताड़ा।
नारायणपुर थाना कांड संख्या 89/22 के विचाराधीन बंदी चिराउद्दीन मियां की शनिवार की रात न्यायिक अभिरक्षा में संदेहास्पद मौत हो गई है। विचाराधीन बंदी की मौत की घटना सुबह होते ही पूरे जिले में आग की तरह फैल गई। परिजनों को भी इसकी सूचना मिली। मृतक के पुत्र समसुल अंसारी ने जेलर प्रियरंजन एवं नाइट ड्यूटी में मौजूद पुलिसकर्मियों पर मारपीट कर पिता की हत्या करने का आरोप लगाया है। इस संदर्भ में पीड़ित ने एसपी एवं डीसी को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है।
पीड़ित का कहना है कि बीते 9 अगस्त को चिराउद्दीन मियां को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। 15 अगस्त को वे अपने पिता से मुलाकात करने जेल गेट गए थे। जहां उनके पिता ने बताया कि जेल में खाने पीने में दिक्कत दी जा रही है। विरोध करने पर उनके पिता को मारपीट की गई तथा जेलर ने उन्हें धमकी दिया था कि नेतागिरी करने पर ठंढा कर दिया जाएगा। वही 29 अगस्त को जब उन्हें जेल अभिरक्षा में पिता की मौत की जानकारी मिली तो वे जेल गेट गए जहां उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया और सदर अस्पताल जाने की बात कही गई। मृतक के पुत्र ने बताया कि सदर अस्पताल जब पहुंचे तो ड्रेसिंग रूम के सामने उनके पिता का शव लावारिस स्थिति में पड़ा हुआ था। उन लोगों ने जब शव को देखा तो पीठ पर डंडे का निशान तथा कान एवं गले के नीचे हिस्से में सूजन दिखाई दी। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पिता की मृत्यु रात में ही हो गई थी और जेल प्रशासन सच्चाई छुपाने के लिए आनन-फानन में अस्पताल में लाकर भर्ती कर दिया। उन्होंने जेलर प्रियरंजन एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर मिलकर हत्या करने का आरोप लगाया है। वहीं इस मामले में कांग्रेस के प्रखंड अध्यक्ष बीरबल अंसारी ने कहा कि उपायुक्त एवं एसपी से मिलकर शिकायत की गई है और पीड़ित परिवार को तत्काल 500000 रुपए मुआवजा देने की मांग की गई है। साथ ही दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही गई है। अगर प्रशासन उनकी बात नहीं मानती है तो ग्रामीण आंदोलन करने को विवश होंगे।
वहीं दूसरी ओर इस घटना की जानकारी दुमका जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी को भी मिली। बता दें कि वर्तमान में जामताड़ा मंडल कारा का उन्हें अतिरिक्त अधीक्षक पद का प्रभार मिला हुआ है। उन्होंने घटना को लेकर जांच पड़ताल की। जकल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह सामान्य मौत का मामला है। किसी तरह की मारपीट नहीं की गई है और इस मामले की जांच न्यायिक दंडाधिकारी से करवाने को लिखा जाएगा। जेल अधीक्षक ने विचाराधीन बंदी के साथ मारपीट किए जाने की संभावना से इनकार किया है।