ASHOK KUMAR
झारखंड : झारखंड की राजधानी रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला अमन साहू वर्ष 2008 में मोबाइल की दुकान चलाता था. वह कम उम्र में ही अपराधिक गिरोह के संपर्क में आ गया था. अमन के पिता निरंजन साहू पतरातू में रहते थे और वहीं पर मोबाइल की दुकान खोली थी. उसी दुकान पर अमन बैठता था. इंटर पास करने के बाद ही वह सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय गिरोह के संपर्क में आ गया था.

सीमेंट फैक्ट्री में हुई फायरिंग में पहली बार गया था जेल
अमन साहू ने बर्नपुर में स्थित एक सीमेंट फैक्ट्री में सुशील श्रीवास्तव और भोला पांडेय के साथ फायरिंग की घटना को अंजाम दिया था. मामले में वह पहली बार जेल गया था. 10 माह तक उसकी जमानत नहीं हुई थी. जेल में ही उसने ठान लिया था कि अपना अपराधिक गिरोह बनाना है. जमानत पर छूटने के बाद उसने ठीक वैसा ही किया.
देखते-ही-देखते बना लिया झारखंड का सबसे बड़ा गैंग
अमन साहू ने जेल से छूटने के बाद झारखंड में सबसे बड़ा गैंग तैयार कर लिया. सुशील और भोला से भी उसने बड़ा गैंग तैयार कर लिया था. गैंग का काम व्यवसायियों और ठेकेदारों से वसूली करना था.
हजारीबाग से खोला था अपराध का खाता
अमन ने सबसे पहले हजारीबाग से अपराध का खाता खोला था. इसके बाद उसने रामगढ़, लातेहार, पलामू और रांची में भी गैंग का विस्तार करते हुए अपना वर्चस्व बना लिया था. वह लॉरेंस विश्नोई गैंग के लिए भी काम करता था. वह पुलिस के लिए बड़ी चुनौती भी बना हुआ था. पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था तब वह जेल के भीतर से ही घटना को अंजाम देने का काम करता था.
एटीएस की टीम रायपुर से रिमांड पर लेकर आ रही थी रांची
मंगलवार की बात करें तो एटीएस की टीम अमन साहू को रायपुर से रिमांड पर लेकर रांची आ रही थी. इस बीच ही उसने पुलिस वाले से इंसास छीन लिया था और भागने की कोशिश की थी. इस बीच ही वह एनकाउंटर में मारा गया.
झारखंड में दर्ज है 130 से ज्यादा मामला
पुलिस का कहना है कि अमन साहू के खिलाफ पूरे झारखंड के थानों में 130 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं. रामगढ़ और हजारीबाग में ही 70 मामले दर्ज हैं. घटना में एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ है जिसका ईलाज चल रहा है.
