Ranchi : झारखंड की मुख्य सचिव श्रीमती अलका तिवारी ने नशे के कारोबार पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए सभी संबंधित विभागों को समन्वय बनाकर ठोस रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं. शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में उन्होंने पोस्ते की खेती से जुड़े मामलों पर कड़ी निगरानी रखने, अफीम के उत्पादन और वितरण मार्गों पर पैनी नजर बनाए रखने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि पोस्ते की खेती से अधिक आमदनी होने के कारण लोग इसे अपनाते हैं, बावजूद इसके कि जेल जाने का डर बना रहता है. इसे रोकने के लिए जरूरी है कि कृषि विभाग के सहयोग से किसानों को आमदनी के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए जाएं. साथ ही, जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराया जाए.
श्रीमती तिवारी ने वन विभाग और जिला प्रशासन से जंगल और जलाशयों के पास की जमीन पर निगरानी रखने और पोस्ते की फसलों को नष्ट करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जंगल की खाली जमीन पर पौधरोपण कर पोस्ते की खेती को हतोत्साहित किया जा सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नशे के कारोबार से जुड़े लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने के साथ सजा दिलाने की प्रक्रिया को तेज करना जरूरी है. पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किए बिना इस समस्या से निपटना मुश्किल होगा.
बच्चों और युवाओं के बीच नशे के खिलाफ माहौल बनाने पर जोर
मुख्य सचिव ने ड्रग्स की बढ़ती लत पर चिंता जताते हुए कहा कि जागरूकता अभियान में पंचायती राज विभाग और शिक्षा विभाग को जोड़ा जाए. स्कूल स्तर से बच्चों और युवाओं के बीच नशे के खिलाफ माहौल बनाने की जरूरत है. पंचायतों के संसाधनों का उपयोग कर जागरूकता अभियान को प्रभावी बनाया जा सकता है.
इन प्रभावित जिलों की स्थिति पर हुई चर्चा
बैठक में चतरा, खूंटी, हजारीबाग, लातेहार, पलामू, रांची, चाईबासा और सरायकेला-खारसावां जिलों के पुलिस अधीक्षकों और उपायुक्तों ने पोस्ते की खेती पर कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की। एनडीपीएस ने पावर प्रजेंटेशन के माध्यम से नशे के कारोबार की रोकथाम के उपायों पर विस्तृत जानकारी दी.
बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी रहें मौजूद
बैठक में गृह सचिव वंदना डाडेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और वन विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दिकी भी उपस्थित थे. सभी अधिकारियों ने नशे के कारोबार पर रोकथाम के लिए अपने सुझाव साझा किए और कार्ययोजना पर चर्चा की.