Home » Jharkhand Politics : कहीं दोराहे पर तो नहीं आ पहुंचे पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी, एक तरफ भाजपा छोड़ने के कयास, दूसरी ओर झामुमो में जाने की अटकलों से चर्चाओं का बाजार गर्म
Jharkhand Politics : कहीं दोराहे पर तो नहीं आ पहुंचे पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी, एक तरफ भाजपा छोड़ने के कयास, दूसरी ओर झामुमो में जाने की अटकलों से चर्चाओं का बाजार गर्म
IJ DESK : लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ने के साथ पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी के अगले कदम को लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है. यह कयास लगने का दौर तेज होता जा रहा है कि वे कभी भी भाजपा का दामन छोड़ झामुमो का दामन थाम सकते हैं. सोशल मीडिया सहित कई माध्यमों से तो यह दावा भी कर दिया गया था कि आज, यानी गुरूवार की शाम साढ़े चार बजे उनकी विधिवत झामुमो में घर वापसी हो जाएगी, लेकिन अब तक ये बातें सिर्फ अटकलें ही साबित हुई है. न तो पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी की ओर से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान आया और ना ही झामुमो की ओर से इस तरह के कयासों पर सीधे तौर पर कोई प्रतिक्रिया दी गई. हां, झामुमो के वरिष्ठ नेता और पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने रांची में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस बिंदु पर अपने कुछ विचार जरुर व्यक्त किये. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह कहकर पूरी बात स्पष्ट कर दी कि वैसे तो साढ़े तीन करोड़ जनता हमारे संपर्क में है, रही बात कुणाल षाडंगी जी की तो, यह उनका व्यक्तिगत मामला है, लेकिन हमारी पार्टी की परंपरा है कि इसकी सदस्यता संबंधित जिले में ही ली जाती है. मतलब साफ है कि इस मामले में झामुमो प्रवक्ता अभी मीडिया के समक्ष ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते हैं. हालांकि, यह भी सच है पूर्व विधायक ने भी इस संबंध में अब तक किसी तरह का आधिकारिक बयान तक नहीं दिया है. फिर उन्हें लेकर इस तरह की चर्चाओं का बाजार इतना गर्म क्यों है? (नीचे भी पढ़ें)
यह मिल रहें संकेत
इस पर गौर करें तो यह साफ होने लगेगा कि कुणाल षाडंगी की झामुमो में वापसी की चर्चा तो तब ही शुरू हो गई थी जब भारतीय जनता पार्टी ने जमशेदपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो को एक बार फिर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. उस दौरान ही कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नाम नहीं देखते हुये कुणाल षाडंगी आहत से लगें. वे इससे किस कदर आहत हुये, वह भले ही यह सरेआम नहीं दिखा, लेकिन किसी न किसी मंच पर उन्होंने इशारों ही इशारों में जमशेदपुर से प्रत्याशी नहीं घोषित किये जाने पर अपना दर्द जरूर बयां किया. उस दिन से ही यह कयास लगने का दौर शुरु गया कि कुणाल षाडंगी भाजपा छोड़ कभी भी झामुमो का दामन थाम सकते हैं. यह बात अलग है कि इस पूरे प्रकरण में अब तक कहीं से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इसलिए फिलवक्त इसे चर्चा ही माना जाना सही है. (नीचे भी पढ़ें)
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
वैसे, राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल कुणाल षाडंगी के लिये भाजपा का दामन छोड़ किसी अन्य दल में इस तरह से जाना कहीं से भी उचित नहीं रहेगा. खासकर, उनके राजनीतिक कैरियर के लिये तो यह कत्तई उचित नहीं होगा. इस तरह की बातें कहने वालों का साफ तर्क है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले कुणाल षाडंगी ने झामुमो का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था. उसके बाद भाजपा ने उन्हें बहरागोड़ा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन चुनाव में उन्हें झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती ने कड़ी चुनावी शिकस्त दी थी. बावजूद इसके कुणाल षाडंगी जिस तेज तर्रार छवि के युवा नेता हैं, उसे देखते समझते हुये भाजपा ने उन्हें पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता बनाया. रही बात कुणाल षाडंगी कि तो उन्होंने अपने इस पद कि जिम्मेवारी को भी बखूबी निभाया. हो सकता है अभी वो पार्टी से थोड़े नाराज भी हों. बावजूद इसके भाजपा में रहते हुये आगे उनका राजनीतिक भविष्य और निखरने की संभावना ज्यादा है. इसके उलट किसी दूसरे दल का दामन थामना उनके लिये फिलहाल बेहद जोखिम लेने वाला साबित हो सकता है. बावजूद इसके जिस तरह से एक ओर पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी के भाजपा छोड़ने और दूसरी ओर उनके झामुमो में जाने की अटकलें लग रही है, उससे यह भी चर्चा तेज हो गयी है कि कहीं वे दोराहे पर खड़े होने की स्थिति में तो नहीं हैं. फिर भी राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह वह एक तेज-तर्रार नेता की छवि रखते हैं, उससे तय है कि वे जल्द ही इस स्थित से भी मजबूती से बाहर निकलने में सक्षम साबित होंगे.