JHARKHAND NEWS :झारखंड के आइएएस मनीष रंजन अब कमीशनखोरी के मामले में ईडी की रडार पर आ गए हैं. यह वही मामला है जिसमें झारखंड के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम अभी जेल में हैं. मामले में गिरफ्तार आरोपियों से ही मनीष रंजन के नाम का खुलासा हुआ है.
मनीष रंजन की बात करें तो वे ग्रामीण विकास मंत्री के पूर्व सचिव भी रह चुके हैं. मनीष रंजन के खिलाफ कई सबूत ईडी के हाथ लगे हैं. इसी के आधार पर उन्हें समन देकर ईडी की ओर से बुलाया गया है.
साथ में दस्तावेज लाने को कहा
ईडी की ओर से समन देने के साथ-साथ कहा गया है कि वे अपने साथ आय से संबंधित सभी दस्तावेज भी साथ में लेकर आएंगे.
कौन-कौन हैं जेल में बंद
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री के पीएस संजीव लाल, संजीव लाल का नौकर जहांगीर आलम, मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम, सीए मुकेश मित्तल आदि पहले से ही जेल में बंद हैं.
कमीशनखोरी का हिसाब रखने का आरोप
आइएएस मनीष रंजन पर कमीशनखोरी के मामले में हिसाब रखने का आरोप लगाया गया है. कमीशनखोरी मामले में एक एक्सल सीट भी बरामद किया गया है. इसमें कमीशन का विस्तृत ब्यौरा भी दिया गया है.
जमशेदपुर से की थी करियर की शुरुआत
मनीष रंजन ने अपने करियर की शुरुआत जमशेदपुर से ही की थी. 2004 में उन्हें पोटका का बीडीओ और सीओ बनाकर प्रशिक्षु के रूप में भेजा गया था. तब जिले की डीसी निधि खरे हुआ करती थी. इस बीच उन्होंने पोटका के स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार लाने की भी कोशिश की थी. पोटका के अति नक्सल प्रभावित बुटगोड़ा जैसे गांव में जनता दरबार लगाकर लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने की कोशिश भी की थी. कड़क मिजाजी मनीष रंजन खामियां पाए जाने पर त्वरित कार्रवाई करते थे. पोटका के बाद उन्हें राजनगर का सीओ भी बनाया गया था. 6-7 साल के बाद वे जिले में डीडीसी बनकर जमशेदपुर आए थे और अपना योगदान दिया था.