Jamshedpur : आखिरकार वही हुआ जिसे लेकर लोकसभा चुनाव के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी. हालांकि, इतने दिनों तक पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी उन खबरों की खंडन करते रहें. अब सारा कुछ सामने आ गया है. भाजपा से दरकिनार चल रहे कुणाल षाडंगी ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उनका कहना है कि वे पार्टी की कार्यप्रणाली से सहमत नहीं है.
यहां बता दें कि करीब डेढ़ महीने पहले कुणाल षाडंगी ने भाजपा के झारखंड इकाई के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद अब उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है. बहरागोड़ा के पूर्व विधायक षाडंगी ने अपना इस्तीफा भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेज दिया है. पूर्वी सिंहभूम जिले में विभिन्न संगठनात्मक और जन-उन्मुख मुद्दों का हवाला देते हुए कुणाल षाडंगी ने एक्स अकाउंट पर अपना इस्तीफा पत्र शेयर किया है. जिसमें लिखा है..इस पत्र के माध्यम से मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूँ. यह निर्णय मैंने गहन चिंतन और आत्ममंथन के उपरांत लिया है.
पार्टी पर लगाया महत्वपूर्ण मुद्दों पर उदासीना का आरोप
कुणाल षाडंगी का कहना है कि पिछले कई महीनों से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि कई बार पूर्वी सिंहभूम जिले की बुनियादी समस्याओं से जुड़े विषयों और संगठनात्मक विषयों को आपके और अन्य वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान में लाने के बावजूद पार्टी जिले की महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति बिल्कुल उदासीन है. जब मैंने प्रदेश के प्रवक्ता के पद से त्यागपत्र दिया था तो मुझे उम्मीद थी कि मेरे द्वारा रखे गए विषयों पर पार्टी संज्ञान लेगी लेकिन दुखद है कि स्थिति आज भी जस की तस है.
कहा-पार्टी की कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हूं
पत्र में उन्होंने आगे लिखा है कि जिले की कई बुनियादी सुविधाओं और विशेष तौर पर युवाओं के मुद्दों पर यहां से चुने हुए जन प्रतिनिधि हमेशा से मौन रहे हैं और संगठन के आंतरिक अनुशासन के प्रति भी कोई गंभीरता दिखाई नहीं देती है. इन परिस्थितियों में प्रदेश नेतृत्व के द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यजनक है और मैं ऐसी कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हूं और राजनीति में आने के मेरे मुख्य उद्देश्य के प्रति न्याय करने में असमर्थ हूं. पूर्वी सिंहभूम जिले की जनता के हित में यह आवश्यक है कि उनकी आवाज को जोरदार तरीके से बुलंद किया जाए ताकि उनके समस्याओं का उचित समाधान हो सके जो कि वर्तमान की परिस्थिति में बीजेपी में रह कर मुझे संभव प्रतीत नहीं होता है.
लोकसभा चुनाव में नहीं मिला था टिकट, चल रहे थे नाराज
मालूम हो कि कुणाल षाडंगी बीते लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से भाजपा का टिकट मिलने की आस लगाए बैठे थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं देकर एकबार फिर विद्युत वरण महतो पर विश्वास जताया. इसका परिणाम भी काफी बेहतर आया. विद्युत वरण महतो ने चुनावी मैदान में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीसरी बार सांसद बनने का गौरव हासिल किया. इस बीच पार्टी का टिकट नहीं मिलने के बाद से ही कुणाल षाडंगी भाजपा के कार्यक्रमों से कटे कटे चल रहे थे. उनकी पार्टी के प्रति गहरी नाराजगी तब सामने आई जब पिछले मई महीने में एक ओर पीएम नरेंद्र मोदी की घाटशिला में विशाल जनसभा आयोजित हुई थी, तभी कुणाल षाडंगी ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पद से इस्तीपा दे दिया था. हालांकि, वे लगातार बोलते रहें कि भाजपा में बने रहेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आखिरकार कुणाल षाडंगी ने भाजपा को अलविदा कह डाला.