जमशेदपुर।
एलबीएसएम कॉलेज में प्रज्ञा केंद्र का उद्घाटन हुआ और अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। सबसे पहले एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने नारियल फोड़कर और फीता काटकर प्रज्ञा केंद्र कॉमन सर्विस सेंटर ऑनलाइन सेवा केंद्र का उद्घाटन किया। इसके बाद कॉलेज के वर्चुअल सभागार में दीप प्रज्जवलन कर अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस पर काव्य पाठ किया गया।
आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने मातृभाषा के महत्त्व की चर्चा करते हुए कहा कि मातृभाषा का सीधा रिश्ता हमारी मस्तिष्क से है। मनुष्य का मस्तिष्क यदि अपनी उर्वरता को खो देगा, तो हम पर मशीन का राज कायम हो जाएगा। जब मशीन चिंतन भी करेगा और रोबोट सारे काम करेंगे, तो मनुष्य के मशीनों का गुलाम बनने का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा के बिना किसी भी देश का विकास नहीं हो सकता। हमारा चिंतन प्रायः अनुवाद के माध्यम से होता रहा है, जबकि मौलिक आविष्कार और देश के विकास के लिए अपनी मातृभाषा में चिंतन जरूरी है। मातृभाषा से जो प्रेम करेगा, वह सभी भाषाओं से प्रेम करेगा, वह राष्ट्रभाषा से भी प्रेम करेगा। मातृभाषा हमें अपनी संस्कृति और परंपरा से जोड़ती है।
इस मौके पर प्राचार्य समेत अन्य अध्यापकों ने अपनी-अपनी मातृभाषाओं में कविताओं का भी पाठ किया। डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने मैथिली की कविता में कहा-
मातृभाषा दिवसक अवसर पर मन परैत अछि
डाक, घाघ, भड्डरीक वचन, चर्यापदक सिद्ध,
देसिल बयना सभजन मिट्ठा केर उद्गाता कवि कोकिल विद्यापति
निज भाषा उन्नति अहै, केर भारतेन्दु।
अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मौसूमी पॉल ने बांग्ला में ‘ओइतिज्जयो’ अर्थात विरासत या धरोहर नामक कविता का पाठ करते हुए कहा कि हमारी बांग्ला भाषा हमारा गौरव है, हमारी शान है। यह विश्व में एक-दूसरे को बिना किसी भेदभाव के जोड़ती है। यह वीरों की माटी की प्राण भाषा है।
डॉ. शबनम परवीन ने उर्दू की रचना सुनाते हुए कहा- सबकी मैं जान उर्दू, शीरीं जबान उर्दू…./ दुनिया मोहब्बतों की गुलजार हम ही से है/ शबनम की धड़कनों में भी साज हमीं से है।
हिन्दी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि जिस तरह माएं हमारे भीतर करुणा, प्रेम और संवेदना को पैदा करती हैं, वही काम मातृभाषाएं करती हैं। राजनीति बांटती है, पर मातृभाषाएं हमें जोड़ती हैं, एक दूसरे को विकसित करती हैं। उन्होंने ‘बंटवारा’, ‘पलायन के विरुद्ध’ और ‘लोककथा में’ शीर्षक अपनी कविताओं का पाठ किया।
प्रो. संजीव मुर्मू ने अपनी दो संथाली कविताओं में बड़े मार्मिक सवाल उठाये। पानी पर रचित कविता में उन्होंने कहा- पानी आपकी जगह कहां है/ दुख में आंसू की तरह टपकते हैं/ सुख में भी आंखों में झलकते हैं। गरीब पुत्र में उन्होंने अभावग्रस्त लोगों के जीवन-यथार्थ को प्रस्तुत किया। वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार ने ‘फौजी की पत्नी’ शीर्षक अपनी कविता में फौजी की पत्नी के जीवन की सच्चाइयों और आकांक्षाओं को पेश किया। वाणिज्य विभाग के ही डॉ. विजय प्रकाश ने पूरे आयोजन को ही नागपुरी में रचित अपनी कविता में बांध लिया था। रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो अरविंद कुमार पंडित की हिन्दी कविता ‘मोबाइल’ मनोरंजक होने के साथ-साथ गंभीर सवाल भी उठा गयी। राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने खोरठा के एक लोकगीत को गाकर सुनाया, जिसमें एक बंदर और उसकी दीदी के संवाद के जरिये छुआछूत की भावना को प्रश्नचिह्नित किया गया है।
संचालन करते हुए डॉ विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि मातृभाषा दिवस मनाना दरअसल विश्व की भाषाओं को सहेजकर रखने की कोशिश है। इस मौके पर प्रज्ञा केंद्र के व्यवस्थापक विपिन कुमार ने प्रज्ञा केंद्र के जरिए उपलब्ध होने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी दी और बताया कि सिंहभूम के इलाके में यह पहला कॉलेज है, जहां प्रज्ञा केंद्र आरंभ किया गया है। उनके साथ प्रज्ञा केंद्र से जुड़े सरोज कुमार और अभिषेक कुमार तथा एलबीएसएम कॉलेज में प्रज्ञा केंद्र के समन्वयक अभिषेक सुमन भी मौजूद थे।
धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी की समन्वयक डॉ. मौसुमी पॉल ने किया। इस मौके पर डॉ. संचिता भुईसेन, डॉ. अजय वर्मा, प्रो. संतोष राम, प्रो. रीतू, डॉ. प्रशांत, प्रो. मोहन साहू, डॉ. रानी केशरी, प्रो. प्रमिला किस्कु, प्रो. सीता मुर्मू, प्रो. बाबूराम सोरेन, सौरभ वर्मा, पुनीता मिश्रा, मिहिर डे, प्रियंका, ज्योति आदि मौजूूद थे। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।