West Singhbhum : सिंहभूम संसदीय सीट से झामुमो ने पूर्व मंत्री सह मनोहरपुर विधायक जोबा माझी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इस घोषणा के साथ साफ हो गया है की इंडी गठबंधन से सिंहभूम की सीट पर अब कांग्रेस के बजाय झामुमो चुनाव लड़ेगा. झामुमो ने भाजपा की महिला प्रत्याशी गीता कोड़ा के सामने अपना भी महिला प्रत्याशी खड़ा कर तय कर दिया है कि सिंहभूम के चुनावी दंगल में दो बड़ी पार्टी कि महिला नेत्री के बीच सबसे बड़ा और कड़ा मुकाबला होगा. जहां तक जोबा माझी के राजनीतिक कैरियर का सवाल है तो उनके सामने गीता कोड़ा का अनुभव कम ही माना जा रहा है. इसकी वजह जोबा माझी को चुनाव जीतने का और विधायक-मंत्री बनने का अनुभव काफी ज्यादा होना है. इस बीच मीडिया से बात करते हुये उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा प्रत्याशी बनी गीता कोड़ा पर निशाना भी साधा है.
कड़े मुकाबले की जगी उम्मीद
दरअसल, जोबा माझी अविभाजित बिहार काल से ना सिर्फ मनोहरपुर की विधायक बनती रही है, बल्कि मंत्री बनने का भी सौभाग्य उन्हें मिलता रहा है. यह बात और है कि उनके विधानसभा क्षेत्र का विकास उस अनुरूप नहीं हो पाया, जितनी बार वे विधायक और मंत्री रही. अब यह देखना दिलचस्प होगा की इस बार सिंहभूम में किसकी जीत होगी. भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा फिर से सिंहभूम में कमल खिलाने में सफल हो पायेगी या फिर जोबा माझी सिंहभूम के चुनावी रण में जीत के लक्ष्य पर सटिक निशाना साधकर कर सिंहभूम का सांसद बनने का पहली बार गौरव हासिल करेंगी. इस लिहाज से दोनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद जतायी जा रही है.
कहा-पार्टी के भरोसे पर खरा उतरेगी
इस बीच मीडिया से हुए खास बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस उम्मीद और भरोसे के साथ पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है उस उम्मीद पर वे खरा उतरेंगी. चुनाव जीतकर सिंहभूम में झामुमो का परचम लहराएंगी. उन्होंने साफ कहा कि पहले वे झारखंड में जल-जंगल और जमीन की लड़ाई लड़कर लोगों को उनका हक और अधिकार दिलाने का काम कर रही थी. अब संसद में जाकर सिंहभूम सहित देशभर के गरीबों को उनका हक और अधिकार दिलाने का काम उन्हें करना है. इसी लक्ष्य को लेकर वे चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं. जोबा माझी बेहद उत्साहित हैं और अपने जीत के प्रति शत प्रतिशत आश्वस्त भी हैं.
दिवंगत पति की संभाल रही है राजनीतिक विरासत
जब 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो हेमंत के कैबिनेट में शामिल जोबा मांझी एकमात्र महिला मंत्री थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर जोबा मांझी मनोहरपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं थी. इससे पहले वे चार बार झारखंड और एक बार अविभाजित बिहार में मनोहरपुर से विधायक बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं. जल जंगल जमीन के प्रणेता रहे देवेंद्र मांझी की हत्या के बाद जोबा माझी अपने दिवंगत पति के राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं. 1994 में पति की हत्या के बाद 1995 के विधानसभा चुनाव में जोबा माझी चुनाव लड़ी और जीत का परचम भी लहराया था. उस दौरान जोबा मांझी चौथी बार मंत्री बनी थी.
अविभाजित बिहार में बनी थी पहली बार मंत्री
पहली बार जोबा माझी 1998 में अविभाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में आवास राज्य मंत्री बनी थी. इसके बाद उन्हें 2000 में अलग झारखंड राज्य बनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सरकार में समाज कल्याण व महिला बाल विकास तथा पर्यटन मंत्री बनाया गया. 2005 में भी जोबा मांझी परिवार व समाज कल्याण व महिला बाल विकास मंत्री बनी. 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर 2014 में उन्होंने अपनी पार्टी यूजीडीपी का झामुमो में विलय कर दिया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीतीं. फिर 2019 में झामुमो ने उन्हें एक बार फिर मनोहरपुर से उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की.
जोबा माझी कितनी बार जीता विधानसभा चुनाव
-1995 में मनोहरपुर से झामुमो (डी) पार्टी से
-2000 में मनोहरपुर से यूजीडीपी पार्टी से
-2005 में मनोहरपुर से यूजीडीपी पार्टी से
-2014 में मनोहरपुर से झामुमो से
-2019 में मनोहरपुर से झामुमो से
इस बीच वर्ष 2009 में उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
जल-जंगल, जमीन के प्रणेता थे पति देवेन्द्र मांझी
जोबा के पति देवेंद्र मांझी जल जंगल जमीन के प्रणेता थे. झारखंड के बड़े आदिवासी नेताओं में से वे भी एक थे. देवेंद्र मांझी भी दो बार विधायक रहे थे. वे 1980 में चक्रधरपुर और 1985 में मनोहरपुर से विधायक रहे थे. 14 अक्तूबर 1994 को उनकी हत्या हो गयी, जिसके बाद से उनके राजनीतिक विरासत को जोबा मांझी संभाल रही हैं.