पूर्वी सिंहभूम : हल्दीपोखर, हाता, पोटका, कोवाली आदि जगहों में बड़े ही धूमधाम से सुहागिनों ने अमावस्या के दिन वट सावित्री की पूजा की. महिलाओं ने कठिन व्रत का पालन करते हुए अपने पति और पुत्र की लंबी आयु की कामना की.
वट सावित्री की पूजा-अर्चना बड़े ही भक्ति भाव के साथ की. सुहागिनों ने वट वृक्ष के फेरे लगाए. मौली सूता बांधकर फल-फूल के साथ विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की. परिवार में सुख, समृद्धि और शांति की कामना की.
सावित्री ने पति के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थी
सुहागिनों ने वट वृक्ष के नीचे वट सावित्री की कथा को श्रवण किया. पूजा-अर्चना कर रहे पंडित चंदन मिश्रा ने कहा कि प्राचीन समय में सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाने में सफल हुई थी. वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण को यमराज ने हर लिया था. इसके बाद सावित्री ने वट वृक्ष पर ही इस कठिन व्रत को किया था. इसके बाद यमराज को सत्यवान का प्राण वापस करना पड़ा था. आज कलयुग में भी सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि को लेकर कठिन व्रत करने से पीछे नहीं हट रही हैं.