ईचागढ़ : सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ और कुकड़ू प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न दुर्गा पूजा पंडालों में नव पत्रिका प्रवेश के साथ दुर्गा पूजा शुभारंभ किया गया. ढाई सौ वर्षों से डुमरा गांव स्थित माझी बाड़ी दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. आज भी पुराने नियमानुसार ही पूजा की जाती है.
डोली में आती है मां दुर्गा
माझी परिवार द्वारा एक ही पटरा पर मूर्ति का निर्माण कराया जाता है और मां दुर्गा का नव पत्रिका को डोली में लाया जाता है. गुरुवार को नव पत्रिका प्रवेश के साथ ही महा सप्तमी पूजा का आयोजन किया गया. गाजे-बाजे और शंख ध्वनी के साथ नदी से नव पत्रिका व कलश लाकर मंदिर में पूजा प्रारंभ की गी. महिलाओं ने नव पत्रिका बासीनी मां दुर्गा की आरती कर मंदिर में प्रवेश कराया गया.
बाजार के सामान का उपयोग नहीं
ढाई सौ वर्षों से आज भी माझी बाड़ी दुर्गा मंदिर में सप्त जल, सप्त मिट्टी से लेकर सभी पूजन उपचार अपने से जुटाया जाता है. बाजार से खरीदा गया सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता. देशी गाय के घी से ही पिष्टक आदि भोग का निर्माण भी घर में विशुद्ध रूप से तैयार किया जाता है. सप्तमी से महादशमी तक पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है.
पौराणिक परंपरा की चर्चा
आयोजक कृष्ण कुमार माझी ने बताया कि आज नव पत्रिका प्रवेश व कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा देवी का पूजा शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि पूर्वजों द्वारा ढाई सौ वर्षों से किया गया पौराणिक परम्परा के अनुसार ही पूजा अर्चना की जा रही है. दशमी को मूर्तिका विसर्जन पूरे ग्रामीणों के द्वारा कंधे पर ढोकर तालाब में किया जाता है.