रांची : भारत मौसम विज्ञान विभाग अपने स्थापना का 150वीं वर्षगांठ देशभर में मना रहा है. इसी कड़ी में रांची स्मार्ट सिटी ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. मौसम विभाग विज्ञान केंद्र के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र, रांची मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख अभिषेक आनंद, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा समेत मौसम विभाग के कई वैज्ञानिक और गणमान्य लोग मौजूद थे.
पत्रिका मौसम दर्पण का विमोचन
समारोह के दौरान विशिष्ट अतिथियों ने मौसम विज्ञान विभाग की पत्रिका मौसम दर्पण का विमोचन किया. बाद में समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मौसम विज्ञान विभाग केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बात यदि झारखंड में कृषि प्रबंधन या फिर आपदा प्रबंधन की कि जाए तो मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े काफी मददगार साबित होते हैं. रांची मौसम विज्ञान विभाग केंद्र ने पंचायत स्तर तक बेहतर भूमिका निभाने का काम किया है. स्थानीय लोगों को इससे लाभ मिला है. राज्यपाल ने कहा कि मौसम विभाग के आंकड़ों पर भरोसा करने से जान-माल के नुकसान में भी काफी कमी आती है.
नुकसान जीरो करने का प्रयास
समारोह में मौसम विज्ञान विभाग केंद्र के महानिदेशक और साइक्लोन मैन के नाम से जाने जाने वाले डॉ मृत्युंजय महापात्र ने मौसम विज्ञान विभाग का प्रयास है कि आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी जानकारी को शत प्रतिशत सटीक और सही समय पर दिया जाए. ताकि जान माल के नुकसान को जीरो किया जा सके. पंचायत स्तर तक किसानों को विभाग की जानकारी से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल से भविष्य में और अधिक सटीक जानकारियां दी जा सकती हैं.
सबकुछ मौसम विभाग पर निर्भर
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा ने भी मौसम विज्ञान विभाग केंद्र के 150 वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि मौसम विभाग की जानकारियां आज हर कोई अपने दिनचर्या में प्रयोग कर रहा है. स्नोफॉल, डिजास्टर मैनेजमेंट, वज्रपात, सुखाड़, बस, ट्रेन और हवाई सेवाओं का परिचालन सब कुछ मौसम विभाग की जानकारी से जुड़ा हुआ है. आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने कहा कि झारखंड में डॉप्लर रडार की जरूरत है ताकि मौसम विभाग से जुड़ी जानकारी में और अधिक एक्यूरेसी आ सके.