चक्रधरपुर : चक्रधरपुर रेल मंडल मुख्यालय में सोमवार को लगातार पांच हूटर बजते ही रेलवे में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था. जानकारी मिली की रेल मंडल के चाईबासा स्टेशन में एक रेल हादसा हो गया है. रेल हादसे में यात्री ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है और घायल यात्री दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन में फंसे हुए हैं. सूचना के बाद रेल मंडल मुख्यालय से रेल अधिकारीयों और कर्मचारियों की फौज चाईबासा स्टेशन की ओर दौड़ लगा दी. चाईबासा स्टेशन पर राहत-बचाव का काम शुरू किया गया.
हादसे के बाद रेल अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे चाईबासा
दरअसल यह कोई असली रेल दुर्घटना नहीं थी. बल्कि रेलवे के द्वारा रेल हादसों में राहत-बचाव के कार्य को बेहतर तरीके से निष्पादित करने के लिए मॉक ड्रिल किया जाता है. इस मॉक ड्रिल में ना सिर्फ रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए बल्कि एनडीआरएफ की टीम भी शामिल हुई. इसके अलावे भारत स्काउट एंड गाइड की भी टीम मॉक ड्रिल में शामिल होकर बचाव-राहत के कार्य को जाना और इसके निष्पादन के गुर को सीखा.
एक कोच पर दूसरी कोच चढ़ गई
मॉक ड्रिल के लिए पहले से ही तैयारी की जा चुकी थी. तैयारी के तहत चाईबासा स्टेशन में एक ट्रेन एक्सीडेंट साईट के मॉडल का निर्माण किया गया था. इसके तहत दो यात्री कोच को दुर्घटनाग्रस्त दिखाते हुए, एक कोच के ऊपर चढ़ी दूसरी कोच को दर्शाया गया. जैसा की अक्सर रेल हादसों में देखा जाता है. यही नहीं कोच के अन्दर घायल यात्रियों की मौजूदगी के लिए रेल कर्मियों को ही घायल रेल यात्री बनाकर कोच के अन्दर डाल दिया गया था. रेल मंडल के चक्रधरपुर, बंडामुंडा, डांगुवापोशी सेक्शन में बड़े रेल दुर्घटना का पांच-पांच हूटर बजते ही रेल अधिकारी, रेलकर्मी और एनडीआरएफ सहित अन्य संस्थाओं ने बचाव-राहत के लिए चाईबासा की ओर दौड़ लगायी.
दो क्रेन पहुंची घटनास्थल
मौके पर 140 टन के दो क्रेन सहित कई उपकरणों को लेकर बचाव-राहत का काम शुरू किया गया. बचाव-राहत दल ने कोच के अन्दर फंसे लोगों को निकालने का अभ्यास बखूबी किया और उपकरणों की मदद से घायलों को कोच से बाहर निकालने का अभ्यास किया. मॉक ड्रिल में चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम एजे राठौड़ खुद मौजूद थे. उन्होंने भी बचाव-राहत कार्य में हाथ बंटाते हुए दिशा-निर्देश दिया. डीआरएम ने बताया की यह एक बचाव-राहत का अभ्यास है. जिसमें एनडीआरएफ की टीम भी उसकी मदद कर रही है. इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य विभिन्न एजेंसी और संस्था के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित कर बचाव राहत कार्य के गुर को सीखना है. ताकि जरुरत के समय सभी का आपस में बेहतर तालमेल हो और बचाव राहत कार्य आसानी से निष्पादित कर रेल हादसे से होने वाले जानमाल के नुकसान को भी कम किया जा सके.
हो चुके हैं कई रेल हादसे
कुछ महीनों से लगातार रेलवे में रेल हादसे हो रहे हैं. इससे आम रेल यात्रियों में रेलवे से भरोसा भी उठता जा रहा है. चक्रधरपुर रेल मंडल में ही पिछले 30 जुलाई को एक मालगाड़ी के साथ-साथ मुंबई हावड़ा मेल बड़ाबांबो स्टेशन के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. जिसके बाद बचाव-राहत के कार्य को लेकर कई तरह की परेशानियों का सामना बचाव राहत दल को करना पड़ा था.