रांची।
झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इस संबंध में स्पीकर रवीन्द्र महतो ने बताया कि बार-बार सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने के कारण लोकतंत्र की मर्यादा और उसकी गरिमा को बचाए रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए सदन को स्थगित कर रहा हूं।
इससे पहले मॉनसून सत्र के पांचवें दिन सदन ने तीन विधेयकों को मंजूरी प्रदान की। इस सत्र की कार्यवाही 5 अगस्त तक निर्धारित थी, शुक्रवार को प्रश्नोत्तरकाल के अलावा गैर सरकारी संकल्पों को पेश किया जाना था, लेकिन एक दिन पहले ही सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। भोजनावकाश के बाद सभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे शुरू होने पर सरकार की ओर से तीन विधेयकों को सदन में पेश किया गया, जिसे ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी गयी।
तीन विधेयकों को मिली मंजूरी
सभा में आज जिन तीन विधेयकों को मंजूरी प्रदान की गयी, उनमें कौशल विद्या, उद्यमिता, डिजिटल एवं स्किल विश्वविद्यालय विधेयक 2022, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक 2022 और झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 शामिल है। तीनों विधेयकों के पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने की घोषणा की गयी।
BJP चार विधायकों का निलंबन समाप्त
वही दुसरी ओर मॉनसून सत्र के पांचवें दिन गुरुवार भारतीय जनता पार्टी के निलंबित चार विधायकों भानु प्रताप शाही, ढुल्लू महतो, जयप्रकाश भाई पटेल और रणधीर सिंह का निलंबन वापस ले लिया गया। इसके साथ ही निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर चला आ रहा गतिरोध आज समाप्त हो गया। पूर्वाह्न 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा के चारों निलंबित विधायकों के निलंबन को वापस लेने का प्रस्ताव रखा गया। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार यह चाहती है कि विपक्ष सदन में जनहित के मुद्दे और समस्याओं के समाधान को लेकर सकारात्मक सहयोग करें।
सत्र को स्थगित करने का निर्णयशौकिंग करने वाला – सरयू राय
वहीं दूसरी तरफ सत्र के समापन को लेकर विधायक सरयू राय ने कहा कि स्पीकर का अचानक लिया गया निर्णय शौकिंग करने वाला लगा. हालाँकि उन्होंने कहा कि ऐसे अध्यक्ष को सदन को स्थगित करने का अधिकार है. जनता के हितों को लेकर कई सवाल थे जो नहीं हो पाया, इसका उन्हें दुःख है. विधायक सुदेश महतो ने भी कहा कि छोटा सदन होने के नाते इसे उपयोगी बनाया जा सकता था. विपक्ष का काम ही है की विषयों पर सवाल उठाना लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला कि किसी मुद्दे को सुलझाने की पहल सदन में हुई है.