पूर्वी सिंहभूम :पूर्वी सिंहभूम जिले में ही पोटका में हरिणा गांव है और गांव में मुक्तेश्वर धाम है. सावन मे मुक्तेश्वर धाम की छटा देखते ही बनती है. श्रद्धालुओं और भक्तों की भीड़ ऐसी उमड़ती है कि मानो बाबाधाम का रूप ले रहा है. हरिणा का बाबा मुक्तेश्वर धाम कोल्हान के सभी धर्मों में एक प्रसिद्ध धाम के रूप में जाना जाता है.
वन विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. लोगों में ऐसी मान्यता है कई सौ वर्ष पूर्व जंगलों से घिरा था हरिणा का मुक्तेश्वर धाम. झाड़ियां के बीच एक गाय अपना दूध रोज गिराती थी. एक दिन इस दृश्य को चरवाहा देख लिया गया था. इसके बाद चरवाहा ने उस स्थल पर पास जाकर देखा तो वहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग विराजमान था.
कैसे बना मुक्तेश्वर धाम
शिवलिंग में रोज गाय अपना दूध अर्पण करती थी. यह बात धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गयी. इसके बाद आसपास के गांव के लोग स्वयं उत्पत्ति हुए भगवान भोलेनाथ के इस शिवलिंग की पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी. धीरे-धीरे यह इस धाम को बाबा मुक्तेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ. आज इस धाम में श्रावण के समय लाखों की संख्या में कांवरिया और भक्तगण बिहार, बंगाल, ओडिशा, झारखंड के कई जिलों से पैदल चलकर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं.
मनोकामना और आस्था की बंधी है डोर
कहते हैं कि भोलेनाथ को सच्चे मन से पुकारने पर वह स्वयं विराजमान हो जाते हैं और दुखियों का दुख हरण करते हैं. इसी मनोकामना और आस्था को लेकर लोगों में काफी विश्वास है. इसी आस्था और विश्वास को लेकर श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा है. इस मंदिर में मुख्य पुजारी बजरंग दंडपात हमेशा उपस्थित रहते हैं और मंदिर की रख-रखाव करते हैं. संचालन के लिए कमेटी बनी हुई है.