नई दिल्ली।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय उच्च यातायात घनत्व वाले राज्य राजमार्गों को 25 वर्षों के लिए राज्य सरकारों से अपने हाथ में लेने की योजना बना रहा है। इसके बाद उन राज्य राजमार्गों को 4 या 6 लेन वाले राजमार्गों में परिवर्तित किया जाएगा और फिर केंद्र उन राजमार्गों से टोल वसूल करेगा। यह बात केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज मुंबई में आयोजित एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के 12वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए कही। श्री गडकरी ने कहा कि 12-13 साल बाद, उन राज्य राजमार्गों से ब्याज और भूमि अधिग्रहण की लागत समेत निवेश की पूरी वसूली कर ली जाएगी। उन्होंने बुनियादी ढांचे के लिए निवेश में सहयोग का आह्वान करते हुए आग्रह किया कि देश के ढांचागत क्षेत्र में निवेश जोखिम मुक्त रहेगा और अच्छा रिटर्न देगा। उन्होंने कहा, “भारत के ढांचागत विकास के वित्त पोषण हेतु वित्तीय बाजारों को अभिनव मॉडल प्रस्तुत करने की जरूरत है। हम पीपीपी मॉडल में निवेश आमंत्रित कर रहे हैं। यदि हम अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर और ऐसी अनेक परियोजनाओं में निवेश करें, तो हम दुनिया को ऊर्जा का निर्यात कर सकते हैं।नवाचार, उद्यमिता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी भावी भारत की दौलत है।” उन्होंने कहा कि केंद्र ने देश में बुनियादी ढांचे के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
बुनियादी ढांचे के विकास के बारे में उन्होंने सूचित किया, “हम मुंबई और बैंगलोर के बीच एक ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे की योजना बना रहे हैं”। उन्होंने कहा कि यह मुंबई-बैंगलोर के बीच 5 घंटे और पुणे और बैंगलोर के बीच 3.5 से 4 घंटे की यात्रा होगी। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस राजमार्ग पुणे के रिंग रोड के पास से टर्न होगा और बैंगलोर की ओर राजमार्ग के रूप में प्रारंभ होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि इसी तरह देश में 27 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बनाए जा रहे हैं। इस वर्ष के अंत तक दिल्ली-देहरादून को 2 घंटे में, दिल्ली-हरिद्वार को 2 घंटे में, दिल्ली-जयपुर को 2 घंटे में, दिल्ली-चंडीगढ़ को 2.5 घंटे में, दिल्ली-अमृतसर को 4 घंटे में, दिल्ली-श्रीनगर को 8 घंटे में, दिल्ली-कटरा को 6 घंटे में, दिल्ली-मुंबई को 10 घंटे में, चेन्नई-बैंगलोर को 2 घंटे में और लखनऊ-कानपुर को आधे घंटे में जोड़ने वाले राजमार्ग होंगे। उन्होंने कहा कि गोरखपुर से सिलीगुड़ी और वाराणसी से कोलकाता को जोड़ने वाली राजमार्ग परियोजनाओं पर भी काम चल रहा है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय जल ग्रिड की तरह, हम एक राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड विकसित करना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में टोल से 40 हजार करोड़ रुपये की आय हो रही है और 2024 के अंत तक यह बढ़कर 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय 2,50,000 करोड़ रुपये की लागत से 75 सुरंगों का निर्माण करने की भी प्रक्रिया में है। श्री गडकरी ने बताया कि देश में प्रतिदिन औसतन 40 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में सड़क की लंबाई 65 लाख किलोमीटर है और इसमें से 1.45 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भविष्य में राजमार्ग बनाने से पहले निजी क्षेत्र के निवेशकों के सहयोग से भूमि अधिग्रहण किए जाने और संयुक्त उद्यम बनाने की योजना है।
श्री गडकरी ने कहा कि देश में सार्वजनिक परिवहन के विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ई-बसें शुरू करना आर्थिक दृष्टि से काफी व्यवहार्य है। उनके मंत्रालय द्वारा शुरू की गई कुछ परियोजनाओं में शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन, ट्रॉलीबस और बस-पोर्ट शुरू किया जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि साथ ही पर्यटकों के लिए एसी लग्जरी बसें शुरू की जा सकती हैं। पर्वतमाला योजना के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में रोपवे, केबल कार और फनिक्युलर रेल का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के आसपास बनने वाले रेस्तरां और पार्किंग प्लाजा से भी राजस्व के स्रोतों में वृद्धि होगी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, बायो-एलएनजी, बायो-सीएनजी, इलेक्ट्रिक और ग्रीन हाइड्रोजन को शामिल करने के लिए ईंधन आधार में विविधता लाने पर भी विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत केंद्र भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहता है और दुनिया को इस प्रकार की ऊर्जा का निर्यात करना चाहता है। उन्होंने कहा कि गन्ना, बांस और अन्य कृषि उत्पादों से इथेनॉल बनाना आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य है। उन्होंने कहा, “जैव-ईंधन बनाकर हम कृषि में भारत के जीडीपी में वृद्धि कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि जैव ईंधन आयात का विकल्प, किफायती, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी हैं।
श्री गडकरी ने कहा कि देश के मोटर-वाहन उद्योग का आकार 7.5 लाख करोड़ रुपये है और 5 साल के भीतर इसे 15 लाख करोड़ रुपये का उद्योग बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि मोटर-वाहन उद्योग में रोजगार के अधिकतम अवसरों की क्षमता है और यह केंद्र और राज्यों को अधिकतम जीएसटी उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में निवेश से अच्छा रिटर्न मिलेगा।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मुझे विश्वास है कि भारत में वित्तीय बाजारों के विकास और प्रगति के लिए अनेक उत्कृष्ट विचारों का सृजन होगा। मुझे खुशी है कि हमारे सम्मेलन का विषय अमृत काल पर आधारित है, जो हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विज़न भी है।”
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में सेबी के पूर्णकालिक निदेशक अश्विनी भाटिया भी शामिल थे। सम्मेलन के दौरान, एएनएमआई के अध्यक्ष कमलेश शाह ने एक प्रमुख साइबर सुरक्षा पहल की घोषणा की। “एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) को स्टॉक एक्सचेंजों के साथ गठबंधन से बनाई गई साइबर सुरक्षा से संबंधित सेबी की समिति के सदस्यों को सम्मिलित करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है। समिति को सभी वित्तीय मध्यवर्ती संस्थाओं हेतु साइबर सुरक्षा के लिए एक उपयुक्त ढांचा तैयार करने के लिए अधिदेशित किया गया है।”