शिमला: सीमेंट माल भाड़े को लेकर गतिरोध लगातार जारी है क्योंकि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रबंधन और ट्रक चालकों के बीच की दूरी को कम करने के उद्देश्य से बुलाई बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाई है।
ट्रक यूनियनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि कोई निर्णय नहीं लिया गया है और वे हिमाचल कंसल्टेंसी ऑर्गनाइजेशन (हिमकॉन) की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद सरकार द्वारा दरें अधिसूचित की जाएंगी।
एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स के स्वामित्व वाले बरमाना (बिलासपुर) और दारलाघाट (सोलन जिला) में दो सीमेंट प्लांट, भाड़ा शुल्क और सड़कों पर सीमेंट व क्लिंकर की ढुलाई में लगे ऑपरेटरों के विवाद के बाद, पिछले 36 दिनों से बंद पड़े हैं। ट्रक ड्राइवरों का कहना है कि वे उम्मीद कर रहे हैं कि दरें मौजूदा दरों से अधिक होंगी और यदि दरें अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं, तो इसपर आगे की चर्चा की जाएगी क्योंकि एकतरफ़ा कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता।
दो सीमेंट प्लांट्स से लगभग 6,500 ट्रक जुड़े हुए हैं और ट्रकों के खड़े होने के कारण हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है। सदस्यों ने कहा कि ऑपरेटरों और उनके कर्मचारियों के लिए, आय का एकमात्र स्रोत अवरुद्ध हो गया है और वे गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा, “हम बिलासपुर और सोलन जिले के बरमाना और दारलाघाट के हिमाचल प्रदेश ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन व सीमेंट कंपनियों के प्रबंधन के बीच, आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सीमेंट प्लांट फिर से शुरू हो सकें, और उनका संचालन सुचारू रूप से शुरू हो सके।”
उन्होंने आगे कहा, सरकार ने कंपनी प्रबंधन और उसके मालिकों के प्रति अपनी नाराजगी ज़ाहिर की है और हमारी प्राथमिकता प्लांट्स को जल्द से जल्द चालू करने की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है, इसके अलावा ट्रक ऑपरेटर्स, एक महीने से भी अधिक समय से बिना काम के हैं। इसके अतिरिक्त, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी व अन्य से जुड़े हुए थे, वह भी आजीविका के लिए प्रयास कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा “हम केवल माध्यम हैं और विवाद दो पक्षों के बीच है और सरकार का मकसद दोनों पक्षों को पूरा करना था तथा दोनों पक्षों ने इस संबंध में सहयोग करने का आश्वासन दिया है। सरकार द्वारा एक उप-समिति का गठन किया गया है और हिमकॉन ने टैरिफ तय करने की पहल की है। इस बैठक के परिणाम से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा।”
हिमाचल प्रदेश परमानेंट स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन को लिखे एक पत्र में, सीमेंट व्यवसाय अदाणी सीमेंट के सीईओ अजय कपूर ने कहा कि “परिवहन बाजार पूरी तरह से ट्रांसपोर्ट यूनियंस द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो ट्रकों की दरें और तैनाती तय करते हैं, और ट्रांसपोर्ट यूनियंस द्वारा माल ढुलाई दर और वितरण मॉडल पर अव्यवहार्य स्थिति अपनाने के बाद, हमें अपने परिचालन को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बिलासपुर और सोलन जिले के सीमेंट प्लांट से जुड़े सैकड़ों ट्रक चालकों ने गुरुवार को दो सीमेंट प्लांट बंद करने के विरोध में 12 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए शांतिपूर्ण पैदल मार्च निकाला था। सीमेंट प्लांट को तत्काल खोलने की मांग कर रहे ट्रक चालक बिलासपुर जिले के नौणी में एकत्रित हुए और ज्ञापन सौंपने के लिए उपायुक्त कार्यालय की ओर कूच किया।
बरमाना और दाड़लाघाट में दो सीमेंट प्लांट
एसीसी लिमिटेड और अंबुजा सीमेंट दोनों का मालिकाना हक़ रखने वाले अदाणी समूह ने इन प्लांट्स को बंद कर दिया। प्रबंधन ट्रक संचालकों से माल भाड़ा कम करने के लिए कह रहा था, लेकिन ट्रक यूनियनों ने इस मांग को ठुकरा दिया।