आदित्यपुर : आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में न्यू जलापूर्ति योजना का काम पूरी तरह से सुस्त पड़ गया है. इसके लिए वन विभाग को बाधा करार देते हुए जिम्मेवार ठहराया जा रहा है. इस बीच अगले एक साल में निगम क्षेत्र के 55 हजार घरों में पाइपलाइन से जलापूर्ति करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया जा चुका है. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि न्यू जलापूर्ति योजना के काम की इसी तरह की सुस्त गति रही तो आखिरकार यह लक्ष्य कैसे पूरा हो पाएगा. यहां गौर करनेवाली बात यह है कि इस साल बारिश भी अपेक्षाकृत कम हुई है. इसे देखते हुए आनेवाले दो-तीन महीने से ही आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र के लोगों को पानी की समस्या झेलने पर विवश होना पड़ सकता है. बता दें कि क्षेत्र में नगर निगम क्षेत्र में जिंदल पावर की ओर से न्यू जलापूर्ति योजना का काम किया जा रहा है. इसे लेकर क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में सड़क समेत कई जगहों पर गडढ़े भी खोदे गये हैं. उससे राहगीरों और क्षेत्र के आमलोगों को होनेवाली परेशानी का मामला भी गाहे-बगाहे सामने आता रहा है. खैर, न्यू जलापूर्ति योजना के काम की गति की बात करें तो यह भी जानना जरूरी है कि इस संबंध में निगम के प्रबंधक अजय कुमार क्या कहते हैं. (नीचे भी पढ़ें, देखिये-वीडियो)
एजेंसियों के रवैये पर पार्षद जता चुके हैं नाराजगी
इधर, बात नगर निगम का कार्य रही एजेंसियों के रवैये की करें तो रिस्टोरेशन कार्य बंद होने से पार्षद भी नाराजगी जता चुके है. वैसे, इसकी वजह विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलना बताया जा रहा है, जिससे कार्य की गति सुस्त पड़ गई है, लेकिन एजेंसियों के रिस्टोरेशन कार्य बंद करने से नाराज पार्षदों की शिकायत निगम के मेयर तक ही सीमित नहीं होकर पत्र के जरिए नगर विकास विभाग सचिव तक पहुंच चुकी है. इस पर विभागीय सचिव ने जुडको के उप निदेशक कृष्ण कुमार को जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए हैं.
यह है न्यू जलापूर्ति योजना की मौजूदा स्थिति
इस योजना के तहत कुल 480 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने हैं. उसमें अब तक 369 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाया जा चुका है. इसके अलावा योजना के तहत 11 जलमीनार बनने हैं. इसमें एक को छोड़ बाकी के 10 जलमीनार बनाये जाने का कार्य प्रगित पर है. वहीं, क्षेत्र के सापड़ा में 30 एमएलडी और सीतारामपुर में 60 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रिटमेंट प्लांट बनाया जाना है. साथ ही, एनआईटी ट्वीन टंकी के पास रिजर्वायर बनने हैं, लेकिन 48 किलोमीटर पाइप लाइन, दोनों वाटर ट्रिटमेंट प्लांट और रिजर्वायर के साथ राजगंज में बनने वाले जलमीनार के लिए जमीन का वन विभाग से एनओसी मिलना अभी बाकी है. इस कारण पानी की आपूर्ति नही हो पा रही है. आगे भी यह स्थिति बनी रही तो योजना के कार्य में विलंब होने की संभावना से इंकार नहीं जा सकता है.