Ashok Kumar
जमशेदपुर : होली, छठ, दीपावली और दुर्गापूजा के समय यात्री ट्रेनों में प्रत्येक साल भारी भीड़ होती है, बावजूद उसके हिसाब से रेलवे की ओर से अतिरिक्त कोच लगाने की व्यवस्था नहीं की जाती है. इसका नतिजा यह होता है कि रेल यात्री भेड़-बकरी की तरह यात्री ट्रेनों में यात्रा करने को विवश होते हैं. कुछ इसी तरह का नजारा इस बार भी होली में देखने को मिल रहा है. एक माह पहले भी जिसने टिकट लिया था उनका भी सीटबर्थ कंफर्म नहीं हुआ है.
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घर जाना है मजबूरी
बिहार के यात्री जब स्टेशन पर यात्रा करने के लिये पहुंच रहे हैं तब उन्हें भीड़ को देखकर सहसा विश्वास नहीं हो पा रहा है. वे ऐसी स्थिति में यात्रा नहीं करना चाहते हैं, लेकिन होली पर गांव घर जाना उनके लिये मजबूरी है. आरक्षण टिकट तो सभी के पास है. अगर किसी को बर्थ मिला भी है तो उसके सीट पर कई यात्री बैठकर यात्रा कर रहे हैं.
सीटबर्थ वाले यात्री कर रहे हैं हंगामा
जिस यात्री का टिकट कंफर्म हो गया है वे यात्री किसी दूसरे यात्री को अपनी सीट पर बैठने देना नहीं चाहते हैं. ऐसे में रोजाना यात्री ट्रेनों में हो-हंगामे की नौबत आ रही है. कोच में 72 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है, लेकिन 400 से भी ज्यादा यात्री सवार होकर यात्रा कर रहे हैं.
सभी ट्रेनों की है एक जैसी हालत
बिहार की ट्रेनों को छोड़ दें तो बाकी ट्रेनों की हालत भी एक जैसी ही बनी हुई है. आरक्षण टिकट या सामान्य टिकट लेकर यात्रा करनेवाले यात्रियों की हालत बिल्कुल एक जैसी ही है. किसी तरह से घर पहुंच जाना ही यात्रियों के लिये काफी है.
बस पर बेंच में बैठने के लिये भी मारा-मारी
रेल मार्ग को छोड़ दें तो बस मार्ग की स्थिति भी ठीक वैसी ही है. यात्री बसों में भी सीटबर्थ नसीब नहीं हो पा रहा है. टिकट का पूरा पैसा लेने के बाद यात्रियों को किसी तरह से बेंच में बैठाकर गंतव्य को रवाना किया जा रहा है. हालत तो ऐसी है कि बेंच पर बैठने के लिये भी मारा-मारी हो रही है.
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