सरायकेला-खरसावां : झारखंड सरकार राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में राष्ट्रभाषा हिंदी, मगही, भोजपुरी, मैथिली एवं अंगिका को हटाने से राज्य के गैर आदिवासीय बेरोजगार युवाओं पर खासा असर पड़ा है । जिसे ल्रेकर राज्य के विभिन्न राज्यनिति संगठन सहीत विभिन्न संगठनों ने सरकार के इस फैसले को विरोध करने लगे हैं । सरायकेला-खरसावां के एकता विकास मंच ने बुधवार को हाईकोट के सिनियर वकील श्रितु कुमारी के द्वारा अगामी सोमवार को हाईकोर्ट में सरकार के इस फैसले के विरोध में पीआईएल दायर की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय नियुक्ति परीक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं से राष्ट्रभाषा हिंदी सहित मगही, भोजपुरी, मैथिली एवं अंगिका भाषा को हटाए जाने पर एकता विकास मंच द्वारा इसे शामिल किए जाने की मांग लगातार की जाती रही है। इसे लेकर एकता विकास मंच के केंद्रीय अध्यक्ष एके मिश्रा के नेतृत्व में झारखंड उच्च न्यायालय में पीआईएल रिट याचिका दायर की गई। मंच के केंद्रीय अध्यक्ष एके मिश्रा द्वारा बताया गया है कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत उक्त भाषाओं को झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की नियुक्ति परीक्षाओं से हटाया गया है। इसके साथ ही इस जायज मामले को लेकर सड़क से सदन तक धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी गई है। राज्य में सभी को रोजगार एवं रोजी-रोटी का समान अधिकार है।