Ashok Kumar
जमशेदपुर : अचानक से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का सेंट्रल जेल में पहुंच जाना और अभय सिंह से मिलना. अभी रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी अभय सिंह से मिलने की योजनायें ही बना रहे थे. राजनीतिक गलियारे में यह बड़ी बात है. इसके बाद पूरी राजनीति ही गरमा गयी है. राज्य में विधानसभा चुनाव 2024 में होने वाले हैं. उसके पहले ही जमशेदपुर भाजपा की गुटबाजी सामने आने लगी है. तीन साल पहले तक जहां भाजपाई दो गुटों में ही बंटे हुये थे वहीं आज की तारीख में भाजपाई तीन गुटों में बंटे हुये हैं. तीनों गुट के मुखिया मुख्य रूप से झारखंड की राजनीति में ही सक्रिय होना चाहते हैं. कार्यकर्ताओं के लिये सबसे बड़ी समस्या यह आन पड़ी है कि वे किस खेमे में रहे. एक की तरफ झुकाव हुआ तो दूसरा नाराज और फिर तीसरा भी. चुनाव के समय तो कार्यकर्ताओं की तो जरूरत पड़ती ही है. सारा काम उन्हीं से लिया जाता है.
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रघुवर दास के सीएम बनते ही बना दो गुट
रघुवर दास जब राज्य के सीएम बने थे तब भाजपाई दो गुटों में बंट गये थे. इसके पहले तक गुटबाजी कम थी लेकिन उसके बाद चरम पर आ गयी. जमशेदपुर की बात करें तो उनके ईशारे पर ही जिला अध्यक्ष का चयन होता था. रामबाबू तिवारी, चंद्रशेखर मिश्रा, दिनेश कुमार और गुंजन यादव महानगर अध्यक्ष बन चुके हैं. रघुवर दास के ही गुट के हैं. रघुवर दास से भले ही विधायकी छीन गयी है, लेकिन वे आज भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हैं और उनकी पकड़ केंद्र की एक-एक चोटी की नेताओं से भी है.
अर्जुन मुंडा केंद्र के साथ झारखंड की राजनीति में भी रहना चाहते हैं सक्रिय
तीन बार सीएम रह चुके अर्जुन मुंडा की बात करें तो वे वर्तमान में केंद्र की राजनीति के साथ-साथ झारखंड की राजनीति में भी सक्रिय रहना चाहते हैं. केंद्र में जो ख्याति उन्हें मिलनी चाहिये थी वह नहीं मिल पायी है. इस कारण से भी वे झारखंड की राजनीति में ही सक्रिय रहना चाहते हैं. मौका मिला तो वे राज्य की कुर्सी छोड़नेवाले नहीं हैं. अगर मौका नहीं भी मिला तो वे अपने स्तर पर बिसात बिछाने और झारखंड में अपनी पकड़ और मजबूत करने से भी नहीं चुकेंगे. अर्जुन मुंडा को जब कभी मौका मिलता है वे झारखंड में चले आते हैं और अपनी सक्रियता बढ़ा देते हैं.
बाबूलाल मरांडी के बाद बना तीसरा गुट
राज्य के पूर्व सीएम रह चुके बाबूलाल मरांडी ने दोबारा भाजपा का दामन थामा तब जमशेदपुर में भाजपा का तीसरा गुट सामने आ गया. बाबूलाल से जो भी जुड़े हुये हैं वे उनके साथ ही हो गये हैं. अगर केंद्र के निर्देश पर भाजपा की ओर बाबूलाल को राज्य में केंद्र बिंदु मानकर चुनाव लड़ा जाता है तो वे अपने स्तर पर पूरे राज्य में बिसात बिछायेंगे. अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि बाबूलाल को ही सीएम के लिये प्रपोज किया जायेगा. अभी पुराने खिलाड़ी में रघुवर दास और अर्जुन मुंडा भी इस दौड़ में पहले से ही चल रहे हैं.
मुंडा का 2009 में लोस चुनाव जीतने पर बढ़ा था कद
अर्जुन मुंडा ने 2009 में जमशेदपुर में लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी. इसके बाद से ही उनका कद बढ़ा था. हालाकि बाद में सीएम के चक्कर में उन्हें अपनी सीट छोड़नी पड़ी थी. हो सकता है 2024 की चुनाव में अर्जुन मुंडा विधानसभा चुनाव लड़ें और झारखंड की सत्ता संभालें.
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