जमशेदपुर : पूर्व रेल राज्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वर्ष 2003 में टाटानगर आगमन के दौरान आयोजित समारोह में घोषणा की थी कि टाटा-रांची के बीच शार्टकट रेलवे लाइन बिछाई जाएगी, लेकिन उनकी घोषणा के 20 सालों बाद भी अभी तक इस रेलखंड का सर्वे तक पूरा नहीं हो सका है। 21 साल के बाद भी टाटा-रांची के रेल यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिल सका है।
अधिकारी के तबादले के बाद नए सिरे से शुरू होता है काम
जब भी साऊथ इस्टर्न रेल मंडल के वरीय अधिकारियों का तबादला होता है तब इस काम को फिर से नए सिरे से शुरू किया जाता है। इसका सर्वे कितनी बार की गई है इसका जवाब रेल मंडल और रेल जीएम के पास तो नहीं है। अधिकारियों का साफ जवाब होता है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। फाइल मंगाकर देखते हैं।
तीन घंटे में टाटा-रांची की यात्रा
शार्टकट रेलवे लाइन बनने के बाद इस रेलखंड पर रेल यात्री मात्र तीन घंटें में ही टाटा से रांची के बीच यात्रा कर सकते हैं। वर्तमान में इस रेलखंड पर पैसेंजर ट्रेनें चला करती है, लेकिन वह 7 घंटे तक का समय लेती है। इसी को ध्यान में रखते हुए शार्टकट रेलवे लाइन की योजना पूर्व रेल राज्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बनाई थी।
रेलवे यूनियन भी साधे हुए है चुप्पी
सीकेपी रेल मंडल की बात करें तो यहां पर आधा दर्जन से ज्यादा यूनयनें कार्यरत है, लेकिन किसी ने भी इस दिशा में सार्थक पहल नहीं की है। यूनियनों की ओर से अब तक रेल मंडल के डीआरएम तक को भी ज्ञापन सौंपने का काम नहीं किया गया है।
नीतीश कुमार जब रेलमंत्री थे, तब ली थी खबर
जब नीतीश कुमार रेलमंत्री हुआ करते थे, तब टाटानगर स्टेशन पर पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि टाटा-रांची शार्टकट रेलवे लाईन बिछाई का कार्य का क्या हुआ। इसपर उन्होंने तब रेल जीएम की खबर ली थी। जीएम ने सफाई दी थी कि इसकी जानकारी लेकर काम को रफ्तार में बढ़ाते हैं।
शार्टकट रेलवे लाइन बिछाना आसान नहीं
टाटा से रांची के बीच शार्टकट रेलवे लाइन बिछाई का काम करना आसान नहीं है। पहाड़ी क्षेत्रों में इसको लेकर खासा परेशानी होगी। पूर्व में जो सर्व रिपोर्ट सुपुर्द किया गया है उसमें पहाड़ियों और उंची-निची भूखंडों की तरफ भी ईशारा किया गया है।
कम समय में टाटा-रांची की यात्रा का सपना कब होगा पूरा
कम समय में ही टाटा से रांची तक सफर करने का सपना झारखंड के लोगों को कब नसीब होगा। इसका जवाब किसी रेल अधिकारी के पास नहीं है। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद तब लगा था कि शायद इस नूतन राज्य को बहुत कुछ मिलने वाला है, लेकिन नूतन राज्य के दो दशक बीत गए हैं। आज भी झारखंड के लोग टाटा-रांची शार्टकट रेल मार्ग का सपना देख रहे हैं और रेल अधिकारियों को कोस रहे हैं।