जमशेदपुर : भले ही लोग आज चांद और तारे तक पहुंच चुके हैं और सरकार विकास करने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के सुंदरनगर की बात करें तो यहां की आधी आबादी तक विकास की किरण भी नहीं पहुंची है। सड़क और चापाकल जैसी मूलभूत सुविधाएं भी यहां के जनप्रतिनिधियों ने मुहैया नहीं कराया है। सुनकर विश्वास नहीं होता है लेकिन सच्चाई यही है।
रुगरीडीह गांव है इसका उदाहरण
सुंदरनगर चौक से जादूगोड़ा की तरफ 6 किलोमीटर की दूरी पर रुगरीडीह गांव बसा हुआ है। आजादी के पहले से बसे इस गांव तक जाने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं है। 4 साल पहले इस सड़क को किसी तरह से बनाया गया था लेकिन वह सड़क आज गड्ढों में तब्दील हो गई है। लोगों को आवागमन करने में भारी परेशानी होती है। जबकि इसी क्षेत्र से बुलुरानी सिंह चेयरमैन बनी है। यहां के लोगों को आश्चर्य होता है कि आखिर उन्होंने जनप्रतिनिधियों को पावर क्यों दिया जब वे उनकी सुन ही नहीं रहे हैं।
सरकारी तालाब के किनारे बसी बस्ती में चापाकल तक नहीं
रुगरीडीह गांव में ही एक सरकारी तालाब है। इस तालाब के किनारे 12 साल पहले एक बस्ती बसी है। इस बस्ती में एक भी सरकारी चापाकल नहीं है। यहां के लोग किसी तरह से अपना गुजर-बसर करते हैं। उनकी पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। बस्ती के लोग अपनी समस्या को बराबर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाते हैं, लेकिन वे अब तक कान में तेल डालकर सोए हुए हैं। उन्हें लोगों की जनसमस्या से कोई सरोकार नहीं है।
सिर्फ नाम के लिए है यहां के मुखिया
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद दो बार पंचायत चुनाव हो चुका है। यहां से दो बार मुखिया भी बने। दोनों बार में किसी मुखिया ने भी इस गांव की समस्या पर अपनी नजर नहीं डाली और ना ही गांव में किसी तरह का विकास ही किया है। इससे गांव के लोगों में मुखिया के प्रति काफी आक्रोश है। उन्हें नहीं लगता है कि वे आजाद भारत में निवास कर रहे हैं।
खुकड़ाडीह-गोविंदपुर मेन रोड का कायाकल्प नहीं
सुंदरनगर के खुकड़ाडीह की बस्ती में युवाओं की फौज है जो जन समस्याओं को लेकर बराबर आंदोलन किया करते हैं। खुकड़ाडीह से गोविंदपुर रेलवे फाटक तक की दूरी 5 किलोमीटर है। करीब साढे 3 किलोमीटर तक सड़क नहीं बनी है और सड़क के किनारे बसे गांव में भी किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी गई है। इक्का-दुक्का चापाकल भी दिया गया है तो वह भी जरूरत के हिसाब से काफी कम है। यहां के लोगों ने पिछली बार के चुनाव में सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा भी लगाया था।