जमशेदपुर : मणिपुर के आदिवासी महिलाओं के साथ हुई दरिंदगी के बाद पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति के पत्र लिखकर अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. जो वायरल वीडियो देश के सामने आया है वह दिल को दहलाने वाला है. पीड़ादायक है. मानवता को शर्मसार करता है. इसके लिए और अबतक जारी हिंसा के लिए राज्य सरकार को दोषी मानना गलत नहीं होगा. मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए.
पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है. पूरे प्रकरण की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जाए. चूकि अब तक मणिपुर हिंसा के पीछे बहुसंख्यक ऊंची मैतेई जाति का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन हो सकता है. मुख्यमंत्री भी इसी जाति से हैं और यह जाति अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने को व्याघ्र है.
असम में भी 24 नवंबर 2007 को हुई थी इस तरह की घटना
सालखन मुर्मू का कहना है कि एसटी की मांग के लिए प्रदर्शन के दौरान पूर्व में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में 24 नवंबर 2007 को आदिवासी महिला लक्ष्मी उरांव को भी नंगा कर सारे आम अपमानित किया गया था. आरोपियों के खिलाफ अबतक ना कोई जांच हुई है और ना ही सजा ही मिली है. इसकी भी सीबीआई जांच अनिवार्य है.
30 वर्षों तक बंद रखा जाए एसटी में दर्जा देने की प्रक्रिया
आदिवासी सेंगेल अभियान का कहना है कि किसी भी नई जाति को एसटी का दर्जा देने की प्रक्रिया को अगले 30 वर्षों तक बंद रखा जाए. साथ ही किसी भी नई जाति को एसटी में शामिल करने के पूर्व यह गारंटी करना जरूरी है कि पूर्व से शामिल असली एसटी का अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी आदि अक्षुण रखा जा सके.