Ashok Kumar
जमशेदपुर : परसुडीह के इलेक्ट्रिक लोको शेड में टेक्निशियन के रूप में कार्यरत सतीश कुमार पिल्लई ने 28 जून को आरपीएफ की मौजूदगी में ही आत्मदाह करने का प्रयास किया था, तब आरपीएफ क्या कर रही थी. पिल्लई को बचाने का भी प्रयास नहीं किया गया. रेलकर्मी की मौत रविवार की सुबह ही हो गयी है. उनके घर में पत्नी के अलावा दो बेटी और एक बेटा है. इसके बाद से परिवार के लोग घटना का पूरा जिम्मेवार आरपीएफ को ही बता रहे हैं. परिजनों का कहना है कि आरपीएफ ने जबरन उनकी जमीन को ही दूसरे को दखल दिलाने का काम किया गया.

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बिना कोर्ट के आदेश पर कैसे दिलाया दखल?
पूरे मामले में अब यह बात सामने आ रही है कि आखिर बिना कोर्ट के आदेश के ही आरपीएफ की ओर से जबरन कैसे दखल दिलाने का काम किया गया. इसके लिये नियमतः सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाता है. जिला प्रशासन तक से मदद नहीं ली गयी और न ही सूचना दी गयी. परिवार के लोगों ने आरपीएफ पर आरोप लगाया है कि मिली-भगत कर आरपीएफ ने ऐसा काम किया है.
ओमप्रकाश कसेरा को दिलाया कब्जा
आरपीएफ की ओर से ओमप्रकाश कसेरा को जमीन पर कब्जा दिलाया गया है. सतीश के परिवार के लोगों का कहना है कि उनके पिता रामनाथ पिल्लई ने रेलवे से इस जमीन को लीज पर लिया था. 2011 में उस जमीन को जबरन ओमप्रकाश को बेच दिया गया. पिता ने 2021 में इसको लेकर एक केस भी किया है. अब उस जमीन पर ओमप्रकाश जबरन निर्माण करवाना चाहता था.
