रांची : नेपाल में स्थित दुनिया के 10वें सबसे ऊंचे पर्वत समूह अन्नपूर्णा बेस कैंप की ट्रैकिंग के लिए 14 लोगों की टीम अपनी तैयारी पूरी कर चुकी है. यह टीम तीन दिसंबर से बेस कैंप की चढ़ाई शुरू करेगी. इसकी पहल आइडिएट इंस्पायर इग्नाइट फाउंडेशन और साइबरपीस फाउंडेशन की ओर से की गई है.
4130 मीटर ऊंचे इस अन्नपूर्णा बेस की ट्रैकिंग सामरूंग से शुरू होगी. 14 लोगों की इस टीम में रांची शहर से अकेले 9 शामिल हैं. टीम में सबसे अधिक उम्र 56 वर्ष के शख्स राजीव गुप्ता और प्रवीण राजगढ़िया हैं. जबकि सबसे कम उम्र की प्रतिभागी 16 साल की रिया कोच्चीकर हैं.
टीम में ये हैं शामिल
टीम में रांची के तुहिनिका प्रसाद, सुषमा कृष्णास्वामी, सुनंदा चटर्जी, श्रवण कुमार अग्रवाल, सत्यरूप सिद्धांत, संजय कुमार यादव, राम मोहन रेड्डी, नंदिनी श्रवण अग्रवाल, ब्रजेश कुमार, अमित मोदी, राहुल राजगढ़िया शामिल हैं.
चुनौती और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है बेस कैंप
अन्नपूर्णा बेस कैंप अपनी चुनौतियों, खूबसूरत वादियों और रंग-बिरंगी फूलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां ट्रेकिंग के लिए प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में वे लोग पहुंचते हैं, जिन्हें माउंटेनिंग में रुचि होती है.
सत्यरूप हैं टीम लीडर
प्रसिद्ध पर्वतारोही सत्यरूप टीम लीडर हैं. ट्रैकिंग टीम के लीडर प्रसिद्ध पर्वतारोही व गिनीज बुक रिकॉर्ड होल्डर सत्यरूप सिद्धांत हैं. आइडिएट इंस्पायर इग्नाइट फाउंडेशन के डायरेक्टर व टीम के सदस्य राजीव गुप्ता ने बताया कि 20 अगस्त को रांची में एवरेस्ट समिट कराया गया था. इस समिट से ही कठिन यात्रा के लिए मोटिवेट हुए हैं. हमारी कोशिश है कि रोमांचकारी और साहसिक गतिविधियों के माध्यम से झारखंड में भी ट्रैकिंग को बढ़ावा दे सकें.
कठिन तैयारी कर चुकी है टीम
कठिन तैयारी से टीम के सदस्य गुजरे हैं. 4130 मीटर ऊंचे अन्नपूर्णा बेस कैंप की चढ़ाई के लिए टीम के प्रत्येक सदस्य का हौसला बुलंद है. रांची के सभी सदस्यों ने इस कठिन चुनौती के लिए खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. डेढ़ महीने से रांची के पहाड़ी मंदिर की सीढ़ियों को कई-कई बार चढ़ रहे हैं. इसके अलावा हुंडरू फॉल की सीढ़ियों पर दौड़कर चढ़ते हुए और कांके डैम पर मॉर्निंग वाक कर अपनी तैयारियों को पुख्ता बनाया है.
प्रवीण राजगढ़िया ने क्या कहा
टीम सदस्य प्रवीण राजगढ़िया ने कहा कि हमने अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं रखी है. हम जानते हैं कि बुलंद हौसले और बेहतर तैयारी के बूते किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है. यह पहल न केवल प्रतिभागियों के लिए स्थायी स्मृतियां बनाएगा, बल्कि यह दूसरों को भी उत्साहित करेगा कि वे झारखंड राज्य के सुंदर दृश्यों की खोज करें और ट्रेकिंग गतिविधियों में भाग लें.