रांची : कदमा के शास्त्रीनगर में पिछले दिनों हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला. इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश महामंत्री डॉ प्रदीप वर्मा, पूर्व गृह सचिव सह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य जेबी तुबीद, पूर्व आईजी सह प्रदेश कार्यसमिति सदस्य लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव, महानगर उपाध्यक्ष संजीव सिन्हा, महानगर महामंत्री अनिल मोदी, राकेश सिंह, कदमा मण्डल अध्यक्ष राजेश सिंह शामिल थे.
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उपद्रवियों की हिंसा फैलाने की पूर्व मंशा थी
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान ज्ञापन सौंपते हुए विगत 9 अप्रैल को कदमा के शास्त्रीनगर में हुए साम्प्रदायिक हिंसा की जांच सीबीआई या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने तथा सभी निर्दोष भाजपा एवं विहिप कार्यकर्ताओं को रिहा कराने का आग्रह किया. ज्ञापन सौंपते हुए कहा गया कि शास्त्रीनगर में उपद्रवी तत्वों द्वारा जटाधारी शिव मंदिर पर पथराव कर साम्प्रदायिक हिंसा फैलाई गई. उन्मादी तथा उपद्रवी तत्वों के पथराव से कई पुलिसकर्मी घायल हुए. 9 अप्रैल को ही कदमा में एक संस्था द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी से लौटकर सैकड़ों युवकों ने मंदिर पर हमला किया. इससे जाहिर है कि कुछ उपद्रवी तत्वों का शहर में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की पहले से मंशा थी.
8 अप्रैल को उत्पन्न हुआ था तनाव
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 8 अप्रैल को शास्त्रीनगर (कदमा) स्थित जटाधारी शिव मंदिर के पास महावीर झंडा लगे खम्बे पर पोलिथीन से टांगे गए मांस के टुकड़े पाये जाने पर क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हुआ. मंदिर समिति के लोगों ने प्रशासन से महावीर झंडे के खम्बे पर मांस का टुकड़ा टांगने वाले को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने, मंदिर के आसपास के इलाके में सीसीटीवी लगाने तथा मन्दिर के बगल में अवैध रुप से अतिक्रमित कर मांस बेचने वाले दुकानों के अतिक्रमण हटाने की मांग भी की. तीनों मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया.
स्ट्रीट लाइन बंद कर दो घंटे पुलिस पर हुआ पथराव
भाजपाइयों ने राज्यपाल को बताया कि 9 अप्रैल को ही शाम को कदमा के एक मैदान में एक संस्था के द्वारा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था जिसमें 2 से 3 हजार लोग एकत्रित हुए थे। इस इफ्तार पार्टी में कांग्रेस तथा झामुमो के कई नेता शामिल थे। इफ्तार पार्टी में कुछ अफवाह फैला। वहीं से सैकड़ों युवा शास्त्रीनगर स्थित मस्जिद के पास एकत्रित होकर उत्तेजित नारे लगाने लगे तथा मंदिर पर पत्थर फेंकने लगे। पुलिस के मना करने तथा उपद्रवियों पर बल प्रयोग करने पर उपद्रवियों ने पुलिस पर ही पत्थर फेंकने लगे. इतना ही नहीं बल्कि कुछ उपद्रवियों ने स्ट्रीट लाईट का स्वीच ऑफ कर (मस्जिद के पास एक खंम्बे में स्ट्रीट लाईट का स्विच है) दिया तथा 2 घंटे तक पुलिस पर पथराव किया. इस प्रकार पत्थर की मोटी चादर तैयार हो गई. इसी बीच किसी उपद्रवी ने झोपड़ीनुमा दुकान तथा मोटर साईकिल पर आगजनी कर साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने का कोशिश की.
खुफिया विभाग को नियोजित षडयंत्र की सूचना क्यों न थी
शरारती तत्वों के द्वारा आधी रात तक शास्त्री नगर के निचले हिस्से (खरकाई नदी के तट पर अवस्थित घरों) पर पत्थरबाजी होता रहा. ऊपद्रवियों के पत्थरों से 10-12 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए. यह आश्चर्य का विषय है कि उपद्रवियों को इतने पत्थर कहां से मिले मस्जिद के आस-पास के घरों की छतों पर कई दिनों से बड़े पैमाने पर पत्थरों के टूकड़े एकत्रित करने की चर्चा है. अर्थात असामाजिक कतिपय तत्वों के द्वारा साम्प्रदायिक तनाव एवं हिंसा फैलाने की पूर्व से योजना होने की आशंका है. सबसे आश्चर्य की बात है कि इस नियोजित षड़यंत्र की जानकारी सरकार के खुफिया विभाग को क्यों नहीं थी.
अभय सिंह को अपराधी की तरह किया गिरफ्तार
10 अप्रैल को सुबह बड़ी संख्या में पुलिस भाजपा नेता तथा पूर्व महानगर अध्यक्ष अभय सिंह के काशीडीह (साकची थाना) स्थित घर पर पहुंची तथा अपराधी की भांति गिरफ़्तार कर उन्हें बिष्टुपुर थाना के हाजत में रखा गया. भाजपा कार्यकर्ताओं तथा लोगों के विरोध करने पर उन्हें हाजत से निकाला गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार अभय सिंह घटना स्थल पर गये ही नहीं थे. 10 अप्रैल को सुबह पूर्व महानगर अध्यक्ष नंदजी प्रसाद, सुधांशु ओझा समेत कई भाजपा, विहिप एवं अन्य हिन्दू नेताओं के घर पर पुलिस ने गिरफ्तार करने हेतु छापामारी की.
एसएसपी से मिलने गए विहिप नेताओं को ही पुलिस ने भेजा जेल
10 अप्रैल को विश्व हिन्दू परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल वरीय आरक्षी अधीक्षक से मिलने उनके कार्यालय पर पहुँचापुलिस ने प्रतिनिधि मंडल को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिवक्ता चंदन चौबे को हथकड़ी पहनाने पर जमशेदपुर न्यायालय के अधिवक्ताओं ने एक दिवसीय हड़ताल भी की थी. भाजपा नेता सुधांशु ओझा पुरी (ओडिसा) गए हुए थे. पुलिस उन्हें अपराधी की तरह गिरफ्तार कर जमशेदपुर लाई तथा उन्हें जेल भेज दिया.
नेताओं पर लगाई गैर जमानतीय धारा
गिरफ्तार किए गए तथा पुलिस की प्राथमिकी में दर्ज भाजपा, विहिप एवं अन्य हिन्दू नेता एवं लोग 9 अप्रैल के उपद्रव में शामिल नहीं थे, परन्तु उन्हें गैर जमानती धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर जिला प्रशासन द्वारा जेल भेजा गया. साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में 9 अप्रैल को कदमा गणेश पूजा मैदान में इफ्तार पार्टी आयोजित करने की अनुमति जिला प्रशासन के द्वारा दिया जाना भी आश्चर्य का विषय है.
रामनवमी जुलूस के विवाद की भी दी जानकारी
उन्हें बताया गया कि जमशेदपुर में रामनवमी का उत्सव बड़े धूम-धाम से तथा डीजे एवं ट्रेलर पर झांकी के साथ आयोजन होता रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग उत्साह के साथ महावीर झंडा विसर्जन जूलुस में भाग लेते हैं. इस वर्ष झांकी निकालने हेतु बड़े ट्रेलर (20 चक्का) का उपयोग एवं डीजे बजाने पर जिला प्रशासन ने रोक लगाई. 30 मार्च को साकची स्थित बाल मंदिर अखाड़ा ने जब डीजे के साथ झांकी निकाला तो प्रशासन ने डीजे तथा ट्रेलर को जब्त कर लिया. प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ एवं डीजे तथा ट्रेलर को छोड़ने की मांग को लेकर अखाड़ा समितियों ने 31 मार्च को महावीर झंडा का विसर्जन जूलुस नहीं निकालने एवं एक अप्रैल को जमशेदपुर बंद का आह्वान किया. अखाड़ा समितियों में काफी नाराजगी होने लगी. 31 मार्च (विसर्जन) को रात्रि 8 बजे जिला प्रशासन एवं अखाड़ा समितियों की वार्ता के बाद गतिरोध समाप्त हुआ तथा 31 मार्च एवं 1 अप्रैल को विसर्जन जूलुस निकला. प्रशासन के रवैये से श्रद्धालुओं में काफी असंतोष पनपा. 9 अप्रैल के उपद्रव के बाद जिस तरह से निर्दोष भाजपा, विहिप एवं हिन्दू कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई इससे यह प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पक्षपात करते हुए हिन्दू नेताओं पर कारवाई की.
प्रशासन ने पूर्वग्रसित होकर की कार्रवाई
जमशेदपुर के कदमा थाना अन्तर्गत शास्त्रीनगर में 9 अप्रैल को हुए उपद्रव तथा साम्प्रदायिक हिंसा की जांच सी.बी.आई. अथवा झारखंड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश से होना चाहिए ताकि साम्प्रदायिक हिंसा का साजिश रचनेवाले एवं हिंसा में सम्मिलित तत्वों की पहचान कर उन्हें सजा मिले. निर्दोष भाजपा, विहिप एवं हिन्दू संगठनों के नेताओं पर प्रताड़ना करने वाले अधिकारियों की भी पहचान कर कानून के दायरे के बाहर काम करने वाले अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए. बताया कि मंदिर समिति तथा बहुसंख्यक समाज के लोगों ने न तो हिंसा का सहारा लिया और न ही कोई पत्थरबाजी किया, परन्तु साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने के आरोप में गैरजमानती धाराओं के तहत हिन्दू नेताओं को घरों से गिरफ्तार कर जेल भेजने की प्रशासन की मंशा समझ से परे है. प्रशासन द्वारा भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद एवं हिन्दू संगठनों के नेताओं की इस मामले में किए गए गिरफ्तारी से समाज के एक बड़े तबके में आक्रोश है. रामनवमी झंडा के विर्सजन जुलूस की तिथि के विवाद को लेकर जिला प्रशासन एवं रामनवमी अखाड़ा समिति के मतभेद से प्रशासन कुछ अखाड़ा समिति एवं भाजपा नेताओं के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित था.
प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी जांच रिपोर्ट
इससे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद दीपक प्रकाश के निर्देशानुसार गठित पांच सदस्यीय समिति ने घटना से संबंधित जांच रिपोर्ट प्रदेश को सौंपी. इस समिति में डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, सांसद विद्युतवरण महतो, पूर्व गृह सचिव जे.बी. तुबिद, पूर्व आईजी लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडु शामिल थें.
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