IJ DESK : देश में लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान 25 मई को होना है. इसे लेकर तमाम पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. बात झारखंड की करें तो यहां 25 मई, यानि शनिवार को तीसरे चरण का मतदान होगा. इस दिन झारखंड की चार सीटों चुनाव होना है. इसमें राजधानी रांची सहित जमशेदपुर, धनबाद और गिरीडीह शामिल है. यूं तो इन सभी सीटों पर पक्ष और विपक्ष के बीच मुकाबला कड़ा और दिलचस्प होने की संभावना अभी से ही बन चुकी है, लेकिन जिस सीट पर अगले चरण के चुनाव में सबों की निगाहें टिकी है वह सीट निश्चित रूप से रांची संसदीय सीट है.
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संजय सेठ को टक्कर देने उतरी यशस्विनी सहाय
यहां भाजपा के उम्मीदवार के रूप में एकबार फिर संजय सेठ चुनावी मैदान में हैं, जो पिछले चुनाव में इस संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपनी जीत का परचम लहरा चुके हैं. वहीं, उनके मुकाबले इंडिया अलायंस की कांग्रेस पार्टी ने यशस्विनी सहाय के रूप में एक नये चेहरे को चुनावी मैदान उतारा हैं. वह चुनावी मैदान में उतरने के लिहाज से नयी जरूर है, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोधकांत सहाय की बेटी होने के नाते वह राजनीतिक क्षेत्र में किसी परिचय की मोहताज नहीं है. खासकर, रांची लोकसभा क्षेत्र में, जहां से कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय कई बार अपनी जीत का परचम लहरा चुके हैं. वह केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं.
त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
अब इस सीट पर बने मौजूदा राजनीतिक समीकरण की बात करें तो एक ओर भाजपा और आजसू एक साथ मिलकर एनडीए प्रत्याशी की जीत के लिए दमखन लगाने से नहीं चूक रहे हैं, वहीं इंडिया अलायंस की कांग्रेस और झामुमो के साथ राजद सहित अन्य सहयोगी दलों ने भी महागठबंधन प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस लिहाज से इस संसदीय सीट पर भाजपा गठबंधन और विपक्षी महागठबंधन के बीच मुकाबला तो है ही, लेकिन यह मुकाबला त्रिकोणीय बनाता नजर आ रहा है. जेबीकेएसएस (JBKSS) यानि, झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति पूरे झारखंड में तेजी से उभरी है. इस पार्टी के रांची संससदीय सीट के उम्मीदवार देवेंद्रनाथ महतो हैं, जो ग्रामीण इलाकों में अपने मतदाताओं को गोलबंद करने में लगे हैं. इस लिहाज से रांची संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद भी बनती दिखाई दे रही है.
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पीएम मोदी और गृहमंत्री के रोड शो से भाजपा की पकड़ हुई मजबूत
बावजूद इसके राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस सीट पर किसी पार्टी की पकड़ सबसे मजबूत है तो वह भाजपा की ही है. इसकी सबसे बड़ी वजह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम और काम है, जिसके बल पर भाजपा को चुनावी जीत का सबसे अधिक भरोसा है. इसके अलावा क्षेत्र के शहरी इलाकों में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रोड शो भी कर चुके हैं. इससे रांची संसदीय सीट पर भाजपा की पकड़क और ज्यादा मजबूत हुई है. इसके अलावा निर्वतमान सांसद होने के नाते भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ ने क्षेत्र में जो विकास कार्य किये हैं, उसका फायदा भाजपा को मिलने की उम्मीद है ही.
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बड़ा सवाल-आजसू कितना दिखाएगा दमखम ?
इस बीच एक बड़ा सवाल यह भी बनकर उभर रहा है कि आजसू पार्टी इस संसदीय सीट पर कितना दमखम दिखा पाएगा ? क्योंकि यदि आजसू पार्टी अपने पारंपरिक वोटों को भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में करने में सफल रहता है तो निश्चित तौर पर इस सीट से भाजपा की चुनावी नैया बेहद आसानी से पार हो सकती है. लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में आजसू पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरकर कोई दल आया है तो निश्चित तौर पर वह जेबीकेएसएस (JBKSS) माना जा रहा है. राजनीतिक के जानकार मान रहे हैं कि आजसू के पारंपरिक वोट में कोई दल मौजूद समय में सेंधमारी कर सकता है तो वह जेबीकेएसएस ही है. यदि ऐसा होता है तो भाजपा के लिए यह चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा भी हो सकता है. ऐसे में आजसू पार्टी के प्रदर्शन पर भी इस सबों की निगाहें टिकी हुई है.
मलखान सिंह की भाजपा में वापसी से पार्टी को मिली मजबूती
बहरहाल, राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह की भाजपा में पुर्नवापसी का लाभ इस लोकसभा चुनाव में पार्टी के बेहद ज्यादा मिलने जा रहा है. इसकी वजह क्षेत्र में पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह की बेहद मजबूत पकड़ होना है. सिर्फ ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीतिक में भी उनका नाम बेहद सम्मान से लिया जाता है. इसकी वजह हर ओर उनके समर्थकों का होना है.
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ग्रामीण मतदाताओं को गोलबंद करने में जुटी पार्टियां
बात कांग्रेस और जेबीकेएसएस की करें तो इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटों पर भरोसा है. खासकर, आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं को गोलबंद करने में कांग्रेस पार्टी झामुमो सहित अपने सहयोगी दलों के साथ जुटी हुई है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी रांची में सभा कर चुकी है. इस सभा में जोरदार भीड़ जुटी थी. कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि इससे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के पारंपरिक मतदाताओं में एक नये उत्साह का संचार हुआ है. दूसरी ओर, यह भी देखना होगा कि JBKSS के देवेंद्रनाथ महतो ग्रामीण इलाकों में अपने मतदाताओं को गोलबंद करने में कितना सफल होते हैं. इस लिहाज से उनके सामने कोई पार्टी बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है, तो वह निश्चित तौर पर आजसू पार्टी ही है. फिर भी यदि JBKSS अपने ग्रामीण मतदाताओं को गोलबंद करने में यदि कहीं सफल हो जाती है तो इस चुनावी अखाड़े में नया मोड़ आने से इंकार नहीं किया जा सकता.