ईचागढ़ : सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड के गांव कांकीटाड़ में आजादी के बाद से लेकर अबतक एक अदद रास्ता तक नहीं है. खासकर खेतों में जब धान लगे होते हैं तब कांकीटाड़ गांव के लोगों का सारा ही रास्ता बंद हो जाता है. धान के खेतों के मेड़ का पगडंडी ही एकमात्र रास्ता होता है. अब पके धान के खेत के मेंड़ों पर चलकर नन्हे-मुन्ने बच्चे स्कूल भी आना-जाना करते हैं. दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है.
लोकसभा चुनाव में की थी वोट बहिष्कारा की घोषणा
लोकसभा चुनाव के समय ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार का एलान भी कर चुके थे और तत्कालीन बीडीओ कीकू महतो गांव पहुंचकर रास्ता बनाने में सहयोग का आश्वासन दिया थे. इससे ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार वापस ले लिया था. लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी सम्पन्न हो गया लेकिन ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन पर ही संतुष्टि करना पड़ा है.
दो-तीन में स्कूल नहीं जा पाते बच्चे
साइकिल हो या पैदल वहीं पगडंडी का रास्ता ही ग्रामीणों का एक मात्र सहारा है. बरसात के मौसम में खेत के मेड़ पर फिसलन से परेशानी होती है. ऐसे में दो-तीन महीने तक बच्चों को अभिभावक स्कूल भी नहीं भेज पाते हैं.
तीन टोला में सरकारी सड़क नहीं
गांव की महिला उमा देवी ने बताया कि आजतक हमारे गांव के तीन टोला में रास्ता नहीं बना है. प्रशासन का आश्वासन तो जरूर मिला है, लेकिन रास्ता निर्माण को लेकर अभी तक कुछ पहल नहीं की गई है. इस बार भी अगर गांव से मुख्य सड़क तक रास्ता नहीं बनाया गया तो कोई भी नेता को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा. गांव में किसी का तबियत खराब होने पर खटीया पर ढोकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. इससे ओर दुर्गति क्या हो सकता है.