JHARKHAND NEWS :पूर्व सासद और आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को पत्र लिखकर कहा है कि आदिवासी परंपरा के नाम पर वंशानुगत नियुक्त माझी-परगना और मानकी-मुंडा आदि को मोटरसाइकिल व अन्य लाभ प्रदान करने का आदिवासी सेंगेल अभियान विरोध करता है. यह असंवैधानिक और गलत प्रतीत होता है. इसके विरोध का कारण भी है.
आदिवासी स्वशासन-व्यवस्था के नाम पर वंशानुगत नियुक्त माझी-परगना आदि गांव-समाज के सभी स्त्री-पुरुषों की सहमति से नियुक्त नहीं हैं. राजा का बेटा राजा की तरह स्वयंभू नियुक्त हैं. यह राजतांत्रिक व्यवस्था भारतीय संविधान की जनतांत्रिक परिकल्पना और स्पिरिट के खिलाफ है.
कानून विरोधी हैं
वंशानुगत नियुक्त अधिकांश माझी-परगना आदि अनपढ़, पियक्कड़ और संविधान कानून विरोधी हैं. ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करना आदिवासी समाज को बर्बादी के गर्त में धकेलने जैसा है. इनका एजेंडा में आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार, इज्जत, आबादी आदि को बचाने की कोई सोच और क्रियाकलाप नहीं है.
आदिवासी समाज को बर्बाद करने के बराबर
वंशानुगत नियुक्त माझी-परगना आदि लगभग सभी आदिवासी गांव-समाज में नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, महिला विरोधी मानसिकता, वोट की खरीद-बिक्री आदि को रोकने की जगह बढ़ाने का कार्य करते हैं.
जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार है जरूरी
वंशानुगत माझी-परगना व्यवस्था आदिवासी गांव समाज में गुलामी और बर्बादी की व्यवस्था है. इसमें जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार जरूरी है. अन्यथा रूढ़ि, प्रथा, परंपरा आदि के नाम पर चालू व्यवस्था डांडोम ( मनमानी जुर्माना लगाना), बरोंन (सामाजिक बहिष्कार करना), डान पन्ते (डायन बनाना) रूमुग (झुपना), बुलुग ( नशे में धूत रहना ) और शादी, श्रद्ध, छटियारी आदि में हंड़िया- दारु आदि को अनिवार्य व्यवस्था के रूप में जारी रखेंगे.
झामुमो का वोट बटोरने का षडयंत्र
वंशानुगत माझी परगना व्यवस्था के तहत सत्ताधारी जेएमएम पार्टी द्वारा प्रस्तावित यह मोटरसाइकिल योजना समाज सुधार की बजाय वोट बटोरने का एक तुच्छ षडयंत्र है. देश के सामने चुनाव है. यह फ्री एंड फेयर इलेक्शन को निश्चित प्रभावित कर सकता है. देश, संविधान और समाज के साथ धोखा है. वंशानुगत माझी-परगना आदि अपने गांव में कार्य करते हैं तो मोटरसाइकिल से कहां जाएंगे. क्या करेंगे? यह मात्र वोट के लिए तुच्छ तुष्टिकरण और आदिवासी बर्बादी का षड्यंत्र है.
चुनाव को करता है प्रभावित
वंशानुगत माझी परगना व्यवस्था चुकी संविधान और चुनाव को प्रभावित करता है. अतएव आदिवासी सेंगेल अभियान न्यायपालिका और भारत चुनाव आयोग को भी इसकी सूचना प्रदान कर यथोचित सुधार के लिए आग्रह कर सकती है.
जनतांत्रिक और संवैधानिक कार्यों के लिए नियुक्त हो माझी परगना
सालखन मुर्मू ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वंशानुगत नियुक्त माझी परगना आदि के बदले जनतांत्रिक और संवैधानिक कार्यों के लिए नियुक्त माझी परगना आदि को जरूर प्रोत्साहित करें. ताकि आदिवासी गांव-समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके. इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत, दिल्ली और मुख्यमंत्री, झारखंड को भी भेजी गई है.