जमशेदपुर : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने एएसए की कोर कमेटी ने ऑल इंडिया संताली एजुकेशन काउंसिल प्रांगण करनडीह में सरना धर्म कोड जनसभा रांची की समीक्षा की गई. इसकी पुष्टि विभिन्न राज्यों में कार्यरत सेंगेल के 174 नेताओं के साथ जूम मीटिंग में की गई.
रांची मोरहाबादी मैदान में 8 नवंबर को हुए सरना धर्म कोड जनसभा की रिपोर्ट पर विचार कर इसे ऐतिहासिक सफल बताया गया.
पीएम मोदी का ध्यान आकृष्ट कराया
15 नवंबर 23 बिरसा जयंती के दिन पीएम मोदी बिरसा के गांव उलिहातू आनेवाले हैं. पीएम मोदी से सरना धर्म कोड देने और आदिवासी राष्ट्र बनाने की मांग करेंगे.
दो नेता करेंगे आत्मदाह
सेंगेल के दो जुझारू नेता कान्हू राम टुडू, सोनुवा प्रखंड, पश्चिम सिंहभूम जिला और चंद्र मोहन मार्डी, पेटरवार प्रखंड, बोकारो जिला, झारखंड ने घोषणा की है कि अगर पीएम मोदी उलिहातू में सरना धर्म कोड के मान्यता की घोषणा नहीं करते हैं तो उसी दिन शाम 4 बजे आत्मदाह करेंगे। सेंगेल इनकी बलिदानी भावना की सराहना करता है. मगर यह उनका व्यक्तिगत फैसला है.
10 दिसंबर को मरांग बुरु बचाओ यात्रा
10 दिसंबर को मरांग बुरु ( पारसनाथ पहाड़, मधुबन, गिरिडीह) बचाओ सेंगेल यात्रा करने का निर्णय लिया गया है. 22 दिसंबर को दुमका में हासा-भाषा विजय दिवस मनाने और 30 दिसंबर को सरना धर्म कोड के लिए भारत बंद- रेल रोड चक्का जाम करना करने का निर्णय लिया गया है.
विरोधी राजनीतिक शक्तियों का शिकार है आदिवासी समाज
आदिवासी समाज और उसका धर्म आदि आदिवासी विरोधी राजनीतिक शक्तियों का शिकार बन गया है. जबकि गैर आदिवासी समाज और धर्म अपने हित में राजनीतिक शक्ति का उपयोग करते हैं. आदिवासी विरोधी राजनीति के लिए अधिकांश आदिवासी नेता, आदिवासी जनसंगठन और आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के अगुआ दोषी हैं. सेंगेल “आदिवासी राष्ट्र” की परिकल्पना के साथ किसी भी पार्टी और उसके वोट बैंक को बचाने की अपेक्षा आदिवासी समाज को बचाने का संघर्ष तेज करेगा. आदिवासी समाज का दुर्भाग्य है कि आदिवासी समाज पर (गलत) राजनीति हावी है जबकि गैर-आदिवासी समाज पर (सही) राजनीति पर हावी है.