सरायकेला : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने जिला मुख्यालय सरायकेला में बातचीत में कहा कि आदिवासियों की भाषा संस्कृति को बचाने के लिए नए सिरे से सोचना होगा. झारखंड बने 23 वर्षों में आदिवासियों को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखने के लिए सोरेन खानदान के पिता-पुत्र सर्वाधिक दोषी हैं. जो पांच बार मुख्यमंत्री बनकर भी बेकार साबित हो रहे हैं.
आदिवासी सेंगल अभियान की ओर से 8 नवंबर को रांची मोराबादी मैदान में सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन किया जाएगा. पूरे देश के विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी शामिल होंगे.
आदिवासी नेता और जनसंगठन दोषी
आदिवासी नेता और आदिवासी संगठनों को ही आदिवासियों का सबसे बड़ा विरोधी बताया. पार्टियों को दोष देना बेकार है. पार्टियां तो वोट और सत्ता के लिए सबकी बात करते ही रहेंगे. असली दोषी तो आदिवासी नेता और आदिवासी जन संगठन है. जो आदिवासी एजेंडा, एकता और समाज सुधार की बात नहीं करते हैं. इन्हें बेनकाब करते हुए महान आदिवासी समाज और संस्कृति को बचाने की चुनौती को स्वीकार करना होगा.
एजेंडा और जन एकता से मिल सकती है सफलता
एजेंडा आधारित आदिवासी जन एकता और जन आंदोलन से जरूर सफलता हासिल किया जा सकता है. परन्तु प्रथा-परंपरा के नाम पर जारी कतिपय गलत रूढ़िवादिता को तर्कशीलता और संविधान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है. अन्यथा आदिवासी समाज से नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, महिला बिरोधी मानसिकता, राजतांत्रिक स्वशासन व्यवस्था, बहुमूल्य वोट की खरीद बिक्री जारी रहेगी.