सरायकेला: आरकेएफएल (रामकृष्ण फोर्जिंग) कंपनी में बड़े से बड़े मामले को चुटकी में सुलझा लेने का दम भरने वाला कंपनी का चीफ पीपल्स ऑफिसर शक्ति पदो सेनापति एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार भी सेटिंगबाज सीपीओ प्लांट 3-4 में घटित हुए मजदूर मौत मामले को लेकर अपना सेटिंग में लग चुका है. हमेशा की तरह इस बार भी मामले की लीपापोती में उसने भरसक प्रयास किया, लेकिन मृत ठेका मजदूर के परिजनों के उग्र होने और शव लेकर कंपनी गेट पर प्रदर्शन करने के बाद फिलहाल सीपीओ साहब सकते में हैं. वैसा इस घटना की गूंज राजधानी रांची तक होने लगी है. रांची स्थित श्रमिक विभाग ने घटना को संज्ञान में लिया है और जांच की ओर कदम बढ़ाए हैं.
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13.50 लाख मुआवजा व नौकरी पर बनी सहमति
मंगलवार को रामकृष्ण फोर्जिंग लिमिटेड के प्लांट 3 और 4 में ट्रक से माल अन लोड करने के दौरान ऊंचाई से गिरकर ठेका कर्मी बिंदेश्वरी दुबे (43 वर्ष) के मौत मामले को लेकर सेटिंग, लाइजनिंग और जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है. कंपनी प्रबंधन से वार्ता करने भाजपा के कुछ नेता कंपनी पहुंचकर परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग के साथ वार्ता करते रहे. इस बीच कंपनी का सीपीओ एसपी सेनापति भी वार्ता को जल्द खत्म कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का भरसक प्रयास करता रहा. समाचार लिखे जाने तक मिल रही जानकारी के मुताबिक प्रबंधन मृतक के आश्रित को 13.50 लाख रुपए मुआवजा और एक नौकरी देने की मांग को स्वीकार कर सकता है. जिस पर राजनीतिक दल के नेताओं का जबरदस्त दबाव है. पूर्व में मृतक के परिजनों को 20 लाख मुआवजा राशि देने पर परिजन अड़े थे. इस बीच सीपीओ ने अपने सेटिंग का जौहर दिखाकर मुआवजा राशि को कम करवा दिया.
कांड्रा टोल पर पत्रकारों से मारपीट मामले में जाना पड़ा था सेनापति को न्यायिक हिरासत में
गत वर्ष अप्रैल महीने में कांड्रा टोल प्लाजा में पत्रकारों से मारपीट मामले में सीपीओ एसपी सेनापति का नाम जबरदस्त तरीके से सामने आया था. अपने कॉरपोरेट दोस्त और रुबाब के चलते उसके विरुद्ध पुलिस प्रशासन द्वारा पहले तो मामला दर्ज नहीं किया जा रहा था. जबकि पत्रकारों द्वारा चट्टानी एकता का परिचय देने पर आनन-फानन में कांड्रा पुलिस ने मामला तो दर्ज किया था, लेकिन उस पर सभी जमानतीय धारा लगा दिए गए थे. वहीं कांड्रा टोल प्लाजा में ट्रैफिक पुलिस जवान के साथ मारपीट मामले में सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में एसपी सेनापति को 10 से भी अधिक दिनों तक न्यायिक हिरासत में एमजीएम अस्पताल में रहना पड़ा था. हालांकि अपने प्रभाव के चलते उसे बेल प्राप्त हो गया था.
ऐसा कोई सगा नहीं जिसे ठगा नहीं
जी हां “ऐसा कोई सगा नहीं जिसे ठगा नहीं” भले ही फिल्म का एक गीत का मुखड़ा है, लेकिन आरकेएफएल के सीपीओ शक्ति पदो सेनापति पर भी यह कहावत सटीक बैठती है. आदित्यपुर से लेकर सरायकेला कोलाबीरा तक प्लांट में नौकरी लगाने के नाम पर सिंडिकेट चलाकर इसने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है. कंपनी के एमडी समेत अधिकारियों को बहला फुसलाकर प्रशासनिक धौंस दिखाकर लाइजनिंग के माध्यम से कंपनी के लिए कई जगहों पर जमीन आवंटित करवाया. आज भी कई ऐसे लोग हैं जो नौकरी के नाम पर ठगी के शिकार हुए हैं और अपने पैसे लेने इसके दरवाजे पर ठोकरें खाते देखे जाते हैं.
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