सरायकेला : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोमवार को सरायकेला जिले के कांड्रा में मीडिया से बातचीत करते हुए राज्य सरकार की नीतियों और प्रशासनिक विफलताओं पर गंभीर सवाल उठाए. पश्चिमी सिंहभूम के गीतिलिपि गांव में चार मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया. कहा कि यह घटना बेहद हृदयविदारक है. यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि झारखंड के 24 वर्षों के सफर के बाद भी आदिवासी समुदाय इस तरह की त्रासदियों का सामना कर रहा है.
अबुआ आवास मिलता तो ऐसी घटना नहीं होती
चंपई सोरेन ने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अबुआ आवास योजना को आगे बढ़ाने का प्रयास किया था लेकिन उन्हें केवल 5 महीने का कार्यकाल मिला. जिससे वे इस योजना को पूरी तरह लागू नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि अगर अबुआ आवास योजना का लाभ उस परिवार को मिला होता तो शायद उन चार मासूम बच्चों की जान बच सकती थी.
सरकार हर मोर्चे पर विफल
वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज भी कोल्हान के आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. गिरिडीह और अन्य इलाकों में होली के समय हुई हिंसा कोई नई बात नहीं है. सरकार ने पहले से कोई ठोस सुरक्षा उपाय नहीं की. जिन इलाकों को संवेदनशील घोषित किया जाना चाहिए था वहां भी प्रशासन ने पर्याप्त कदम नहीं उठाया. सरकार की योजनाएं पूरी तरह से पटरी से उतर गई है. मंइयां सम्मान योजना जिसे उनके कार्यकाल में शुरू किया गया था अब ठप पड़ी हुई है. बुजुर्गों की पेंशन योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल रहा है. बुजुर्ग मां-बाप को हर महीने पेंशन मिलनी चाहिए लेकिन मौजूदा सरकार 3-4 महीने तक भुगतान नहीं कर रही है. सामाजिक कल्याण की योजनाएं 4-5 महीने पीछे चल रही हैं.
सरकार ने पहले से सतर्कता बरती होती तो नहीं होती हिंसा : चंपई
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में त्योहारों के दौरान बार-बार हिंसा होती है. सरकार इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है. प्रशासन को संवेदनशील इलाकों में पहले से सुरक्षा बल तैनात करनी चाहिए थी.