जमशेदपुर : बिरसानगर में राष्ट्रभाषा साहित्य संवाद की ओर से शुक्रवार को विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। गोष्ठी का विषय दिनेश अभिनंदन ग्रंथ, तन चंदन मन वृंदावन के विभिन्न आयाम था। हरिहर राय चौहान ने कहा कि यह अभिनंदन ग्रंथ एक प्रिज्म की तरह है। दिनेश जी की बहुआयामी खूबियों को देख सकते हैं। वरिष्ठ कवि शिवनंदन सिंह ने कहा कि दिनेश जी के अभिनंदन ग्रंथ को प्राप्त करतेही मैं बहुत भावुक हो गया। सचमुच यह ग्रंथ साहित्यकारों के लिए रामायण-महाभारत की तरह है। ओमप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि मैंने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि यह ग्रंथ बहुत ही भव्य होने वाला है। कवि बिनोद बेगाना ने ग्रंथ के प्रकाशक शिक्षा भारती प्रकाशन की तारीफ की और कहा कि इस प्रकाशन ने साहित्य जगत को इस ग्रंथ के रूप में एक नायाब तोहफा दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखिका सुधा प्रजापति ने इस ग्रंथ के योजनाकार अशोक सिंह एवं उनकी स्वर्गवासी पत्नी की भी चर्चा की । कथाकार- व्यंग्यकार अजय प्रजापति ने अभिनंदन ग्रंथ के बतौर सह संपादक अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ग्रंथ का संपादन कार्य श्रम साध्य होने के बावजूद अमूल्य अनुभव एवं आनंद देने वाला सिद्ध हुआ है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कथाकार उषा कुशवाहा ने कहा कि 754 पृष्ठों का यह ग्रंथ अपने आप में माइल स्टोन की तरह है। इस ग्रंथ में शामिल सभी 267 रचनाकार बधाई के पात्र हैं। अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन की महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस तरह के प्रकाशनों से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्राप्त होती है। गोष्ठी की अध्यक्षता कथाकार उषा कुशवाहा ने की। कार्यक्रम का संचालन अजय प्रजापति ने किया। धन्यवाद ज्ञापन युवा कवयित्री डॉली ने किया।