सरायकेला-खरसावां : कोरोना का संक्रमण बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। हजारों लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। कईयों को कोरोना की वजह से अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। सरायकेला-खरसांवा जिले के चांडिल स्थित गांगुडीह में 100 बेड का अनुमंडलीय अस्पताल पिछले 10 सालों से अधुरा पड़ा है। कोरोना संक्रमण के दौर में जहां अस्पतालों एवं बेड की काफी कमी है, वहीं लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं। वर्तमान में अगर यह अनुमंडल अस्पताल चालू होता तो क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलती तथा कई लोगों की जानें बच सकती थी। करीब पांच करोड़ की लागत से बने इस अनुमंडल अस्पताल अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। दीवारें दरकनी भी शुरू हो गई है। इस अस्पताल की नींव वर्ष 2008 में तत्कालीन डीप्टी सीएम सुधीर महतो ने रखी थी। यह बिड़बना ही है की करोड़ो की लागत से बने इस अनुमंडल अस्पताल दस साल से चालू होने की बाट जो रहा है। सरकारी स्वास्थ्य कुव्यवस्था को मुंह चिढ़ा रही है। समय के साथ कई सरकारें बदली परंतु किसी भी सरकार ने इस अनुमंडल अस्पताल को चालू कराने के प्रति रूची नहीं दिखाई। जबकी ईचागढ़ विधानसभा से सटे विधानसभा के विधायक सूबे के स्वास्थ्य मंत्री है। वर्तमान में यह अस्पताल अपनी दुर्दशा को बयां कर रही है। अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी झाड़ियां व पौधे उग आयी है।अस्पताल के खिड़कियां के शीशें टूट गई है तो कई सामग्री की चोरी भी हो गई। इस अस्पताल का उपयोग लोग अब धान सुखाने एवं पशुओं को बांधने के काम में ला रहे हैं। समय रहते सरकार इस अस्पताल को चालू करने के दिशा में आवश्यक कदम नहीं उठाती है तो आने वाले समय में यह करोड़ो की लागत का यह अस्पताल चालू होने के पहले ही दम तोड़ देगा।