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सरायकेला : 21वीं सदी की मदर इंडिया छुटनी महतो को केंद्र सरकार देगी पद्मश्री सम्मान, गणतंत्र दिवस पर की गई घोषणा, गम्हरिया के भोलाडीह की है रहने वाली
सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया भोलाडीह की रहने वाली 62 वर्षीय छुटनी महतो को केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। इसकी घोषणा गणतंत्र दिवस के दिन केंद्र सरकार की ओर से की गई। उसे सुबह 11 बजे पीएमओ कार्यालय से फोन भी आया था। इस बात की जानकारी उन्हें दी गई। इसपर छुटनी ने कहा कि एक घंटे बाद फोन करना, अभी टाईम नहीं है। छुटनी को दोबारा 12.15 बजे फिर से फोन आया। इसके बाद अन्य कई लोगों ने भी उन्हें फोन की। उसे नहीं पता है कि पद्मश्री सम्मान क्या होता है। उन्हें लग रहा है कि जरूर कुछ बड़ी चीज होगी।
कम उम्र में ही हो गई थी शादी
छुटनी की शादी कम उम्र में ही हो गई थी। 12 साल में ही महतानडीह निवासी धनंजय महतो नामक व्यक्ति से हुई थी। उनके चार बच्चे हैं। छुटनी को वहां के लोग पहले डायन कहकर बुलाते थे, लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। लोग छुटनी का लोहा मानते हैं। पुलिस प्रशासन की भी उसे अब सहयोग मिलता है। छुटनी तीसरी कक्षा तक ही पढ़ी है। लेकिन वह हिंदी, ओड़िया और बांगला अच्छा बोल लेती है।
बेटा ने कहा 21वीं सदी की है मदर इंडिया
छुटनी का बेटा ने कहा कि उसकी मांग 21वीं सदी की मदर इंडिया है। मां के संघर्षों को नहीं भुल सकता हूं। बेटा ने इस सम्मान के लिए केंद्र और राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया है। मां ने अपने बच्चों को इसलिए पढ़ाया ताकी समाज की कुप्रथा को समाप्त करने में अपनी मां का सहयोग कर सकें।
पड़ोस की बेटी बीमार होने पर लगा था डायन का आरोप
दो सितंबर 1995 की बात है। तब पड़ोस की एक बेटी बीमार थी। तब लोगों को आशंका हुई थी छुटनी ने ही टोना-टोटका कर दिया होगा। इसके बाद गांव में पंचायत बुलाई गई थी। भरी पंचायत में उसे डायन करार दिया गया था। तब पंचायत ने 500 रुपये का जुर्माना भी उसपर लगाया था।
भरी सभा में मैला पिलाने का प्रयास किया
पड़ोस की रहने वाली बीमार बेटी जब ठीक नहीं हुई थी, तब गांव के लोगों ने छुटनी को पकड़ लिया था और मैला पिलाने का प्रयास किया था। इसके बाद उसकी हत्या की योजना भी बनाई गई थी। अंत में गांव से ही उसे चार बच्चों के साथ बाहर निकाल दिया गया था। उसने तब थाने में भी मामला दर्ज कराया था। किसी तरह से उसने अपने पांच साल गुजारी। भाई और पति ने भी उसे सहयोग किया था। इस बीच वह अपने मायका में रह रही थी।
बीरबांस में चलाती है डायन रिहैबिलिटेशन सेंटर
आज छुटनी महतो बीरबांस में डायन रिहैबिलिटेशन सेंटर चलाती है। अबतक वह कई पीड़ितों को पुर्नवास का भी लाभ दिला चुकी है। यहां उसे अबतक किसी तरह का सरकारी सहयोग नहीं मिला है। भारत सरकार का इस ओर ध्यान अब गया है। गांव के लोग भी हर्षित हैं। पद्मश्री सम्मान की घोषणा किए जाने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने छुटनी महतो को बधाई दी है।