Home » Singhbhum Lok Sabha Election-2024 : सिंहभूम सीट पर ‘मोदी’ के सहारे गीता की नैया लगेगी पार या जोबा का चलेगा जादू ?, पढ़िये-इनसाइड झारखंड की खास रिपोर्ट
Singhbhum Lok Sabha Election-2024 : सिंहभूम सीट पर ‘मोदी’ के सहारे गीता की नैया लगेगी पार या जोबा का चलेगा जादू ?, पढ़िये-इनसाइड झारखंड की खास रिपोर्ट
Saraikela : झारखंड में पहले चरण के मतदान को लेकर चुनाव प्रचार थम चुका है. सोमवार 13 मई को यहां लोकसभा की चार सीटों सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा व पलामू में मतदान होना है. यूं तो झारखंड के सभी 14 लोकसभा सीटों पर इस बार मुकाबला रोचक होता दिख रहा है, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा रोचक मुकाबला सिंहभूम संसदीय सीट पर होने के आसार बन रहे हैं. स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस सीट को साधने के खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उतरना पड़ा. पीएम मौदी ने इसी सीट से झारखंड के लोकसभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत भी की थी. ऐसे में सारी निगाहें इस सीट पर आ टिकी है. इसकी खास वजह इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की सांसद रही गीती कोड़ा का रहना है, जिन्होंने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया था. वहीं, उनके मुकाबले इंडिया महागठबंधन ने प्रत्याशी के रूप में झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेत्री और मनोहरपुर से पांच बार विधायक और तीन बार झारखंड की मंत्री रह चुकी जोबा मांझी को चुनावी मैदान में उतारा है. इससे इस सीट पर कांटे की टक्कर की स्थिति बनती दिख रही है.
गीतो कोड़ा को है ‘मोदी’ पर भरोसा
पिछले चुनाव में जनता के बल पर इस सीट से जीत हासिल करनेवाली भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा को इस चुनावी वैतरणी पार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भरोसा है. क्योंकि एक बार नहीं, बल्कि दस बार से अधिक विभिन्न चुनावी कार्यक्रमों में गीता कोड़ा कह चुकी हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा है. मोदी जी ही उन्हें जीत दिला सकते हैं. इसे दूसरे शब्दों में समझें तो गीता कोड़ा को इस बार भरोसा है तो भाजपा के कैडर वोट और आरएसएस पर. यहां गौर करनेवाली बात यह भी है कि अधिकांश चुनावी कार्यक्रमों में गीता कोड़ा अपने पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर ज्यादा कुछ नहीं बोल रही है, वह बखान कर रही है तो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकलापों की. इससे समझता जा सकता है कि प्रधानमंत्री पर उन्हें कितना भरोसा है.
यह भी है संशय का विषय
दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा के साथ कुछ ऐसे कांग्रेसी जुड़े हुये हैं जिन्हें सिर्फ गीता कोड़ा से मतलब है. ऐसे लोग उनके इर्द-गिर्द इस तरह से जमे है, जिससे भाजपा और आरएसएस के कई अहम् नेताओं को गीता कोड़ा तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. इससे संशय की स्थित बन पड़ी है कि क्या भाजपा का कैडर वोट और आरएसएस सचमुच गीता गोड़ा के साथ खड़ा होगा ?
यह भी जानना है जरूरी
यहां एकबात और जानना जरूरी है कि यह वही सिंहभूम संसदीय क्षेत्र है, जहां ‘मोदी लहर’ में पिछली बार एक भी विधानसभा सीट पर भाजपा का कोई विधायक बना. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत सरायकेला, चाईबासा, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर, मंझगांव और चक्रधरपुर विधानसभा आते हैं. एक जगन्नाथपुर को छोड़ दें तो, सभी पांचों सीटों पर झामुमो का कब्जा है. यहां तक कि भाजपा की सबसे मजबूत माने जानेवाली सरायकेला विधानसभा सीट से भी पिछले 10 साल से भाजपा एक अदद जीत को तरस गई है. जाहिर तौर पर यह भी एक चुनावी फैक्टर साबित हो सकता है.
जनता के दम पर जोबा को है जीत का भरोसा
दूसरी ओर इंडिया महागठबंधन की प्रत्याशी जोबा माझी जनता के दम पर अपनी चुनावी जीत की बात कह रही है. वैसे, यह भी गौर करनेवाली बात है कि राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस कारण इस लोकसभा चुनाव में सिंहभूम सीट पर मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. रही बात इंडिया गठबंधन प्रत्याशी और मनोहरपुर से पांच बार विधायक और तीन बार झारखंड की मंत्री रह चुकी जोबा मांझी की तो, वे अपने चुनावी कार्यक्रमों में क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं की बात कर रही है. इतना ही नहीं, जोबा माझी आदिवासी नब्ज को टटोलकर जगह-जगह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जिक्र करने से भी नहीं चुक रही है. वह इस बात को अच्छी तरह से समझ रही है कि राज्य की वर्तमान परिस्थिति में यह मुद्दा उनके बेहद काम आ सकता है. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भी झामुमो सहित सहयोगी दल कांग्रेस और राजद ने इंडिया गठबंधन प्रत्याशी जोबा माझी के पक्ष में जोरशोर से चुनावी अभियान चलाया है. इसका भी फायदा इंडिया गठबंधन प्रत्याशी को मिलने से इंकार नहीं किया जा रहा है.
अब निगाहें वोटिंग और हार-जीत पर
बहरहाल, अब सारी निगाहें सोमवार यानी, 13 मई को होनेवाले मतदान पर आ टिकी है. इसमें कोई शक नहीं कि उस दिन मतदान के प्रति विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के समर्थकों का उत्साह देख राजनीतिक विश्लेषक काफी कुछ अंदाजा लगा लेगें. उसके बाद इंतजार रहेगा तो आगामी 4 जून को जिस दिन चुनावी परिणाम आएगा. उस चुनावी हार-जीत का सारा माजरा साफ हो जाएगा.