Saraikela : सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया की दुग्धा के रहनेवाले कैलाश मंडल की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. इससे उनके पूरे परिवार का बोझ उनकी पत्नी उत्तरा पर आ गया था. हालांकि, वह पति की मौत से सदमे में थी. साथ ही, यह समझने में असमर्थ थी कि अकेले अपना जीवन कैसे जिएं और बच्चों का पालन पोषण कैसे हो. उत्तरा ने कभी नहीं सोचा था कि उसके पति की मृत्यु के बाद उस पर सामाजिक आरोप लगाए जाएंगे, सामाजिक भेदभाव और मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ेगा.
यहां से दिखी उम्मीद की किरण
इसी बीच टाटा स्टील लॉग प्रोडक्ट्स गम्हरिया के फ्रंटलाइनर सीएसआर कर्मी को दुग्धा गांव में अपनी नियमित बैठकों के दौरान उत्तरा के साथ अन्याय और घरेलू हिंसा के बारे में पता चला. उसके बाद उन्होंने उत्तरा की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार और उसके दोनों बच्चों के उज्जवल भविष्य की सम्भावनाओं की परख के लिए उत्तरा से चर्चा की. उत्तरा के विचार, रूचि और उत्कंठा को देखते हुए उसके समक्ष कॉस्मेटोलॉजी कौशल विकास प्रशिक्षण की पेशकश की गई.
ससुर का मिला भरपूर समर्थन
ईश्वर भी सभी बाधाओं के बीच से बाहर निकलने के लिए हमेशा एक रास्ता खुला छोड़ देते हैं. उत्तरा के लिए भी सम्भवतः यही रास्ता रहा होगा. उत्तरा के ससुर के विचार परिपक्व हैं. पारंपारिक सामाजिक पूर्वाग्रहों की आलोचनाओं से भयमुक्त होकर उन्होंने उत्तरा का भरपूर समर्थन किया. कंपनी के अधिकारियों ने उत्तरा को ‘वंदना लूथरा कलर्स एंड कवर्स (वीएलसी सी) भालुबासा में प्रशिक्षण की व्यवस्था करायी. दुग्धा से प्रतिदिन भालुबासा आने जाने की अड़चनों को दूर किया. उत्तरा की जिद्द और स्वावलम्बी बनने के जुनून के आगे सभी बाधाएं बौनी होती चली गई. उसके दोनों बच्चों को दिनभर उसके ससुर सम्भालते थे, और उत्तरा ने लगातार छह माह तक बिना अनुपस्थिति के प्रशिक्षण की बारीकियों को आत्मसात् कर लिया.
ब्यूटीपार्लर में संभाला प्रबंधन कार्य
प्रतिभा कभी अवसर का मोहताज नहीं होता. प्रशिक्षण समाप्त होते ही प्रतिभावान उत्तरा के साथ भी ऐसा ही हुआ. शहर के दो नामचीन ब्यूटीपार्लर ने उत्तरा को एडवांस प्रशिक्षण की सुविधा के साथ 9 हजार रूपये मासिक वेतन का प्रस्ताव दिया, लेकिन उसने गम्हरिया के एक ब्यूटीपार्लर में संस्थान के प्रबंधन का कार्य भार सम्भाल लिया. आज उत्तरा स्वावलंबी है और उसके साथ ही उसके दोनों बच्चों का भविष्य, सामाजिक आलोचनाओं की आग में जलकर निखरे हुए एक मां की आंचल में सुरक्षित हैं.
19 अन्य युवितयों को भी मिली कामयाबी
टीएसएलपीएल को गर्व है कि उत्तरा की ही तरह कंपनी के पोषित क्षेत्र की कुल 19 लड़कियों को उसकी रूचि के अनुसार प्रशिक्षण दिला कर अपना और अपने परिवार को अत्यंत सम्मान और गौरव के साथ सामाजिक जीवन जीने के लिए एक माध्यम बना. सीएसआर विभाग की यह कोशिश नयी मंजिलों के लिए जारी है.