1934 में अंग्रेजों के थानेदार काली प्रसाद की जमकर पिटाई की थी कालिकापुर के लोगों ने
जमशेदपुर।
देश आजादी के लिए आंदोलनरत कालिकापुर गांव आज भी इतिहास के पन्ने से अछूता है. यहां के कुम्हारों के नेतृत्व में अंगरेज शासन के दमन के खिलाफ किए गये आंदोलन के तहत कालिकापुर थाना में तोड़फोड़ व तत्कालीन दारोगा काली प्रसाद की पिटाई एवं इस घटना के बाद देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभानेवाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कालिकापुर आकर जनसभा को संबोधित करना आज भी गांव के लोगों की जुबान पर है. देश की आजादी के आंदोलन में कालिकापुर के नेतृत्वकर्ता ईशान चंद्र भक्त के पौत्र (नाती) डॉ विकास चंद्र भकत ने अपने दादाजी द्वारा सुनायी गयी तत्कालीन घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 1934 के पूर्व कालिकापुर गांव में अंगरेजों ने थाना बनवाया था. 1934 में इस थाना में दारोगा के पद पर काली प्रसाद कार्यरत थे, जिनकी दमनकारी नीति से इस क्षेत्र के लोग काफी त्रस्त थे. उस दौरान पूरे भारत वर्ष में अंगरेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन का दौर चल रहा था. 1934 में कालिकापुर के आंदोलनकारी प्रमुख नेता व मुखिया रहे स्व ईशान चंद्र भक्त के आवास के समीप प्रधान चौक में स्थानीय ग्रामीणों की एक बैठक हुई. बैठक में कालिकापुर के तत्कालीन दारोगा काली प्रसाद के दमन व अत्याचार के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उस बैठक में भाग ले रहे कुछ बुजूर्गों ने ‘कल करे सो आज कर, आज करे से अब’ की नीति पर चलने की बात कही. उन्होंने कहा कि क्यों न अभी तुरंत थाना पर आक्रमण किया जाये. इस पर सभी ग्रामवासियों ने उग्र होकर थाना पर आक्रमण कर दिया एवं थाना परिसर में ही तत्कालीन दारोगा काली प्रसाद की पिटाई कर दी और थाना में तोड़फोड़ की. सबसे पहले हरिचरण भक्त ने दारोगा की पिटाई की थी
1939 में नेताजी पोटका कलिकापुर पहुंचे थे
नेताजी के आने की सूचना लोगों के घर-घर तक पहुंचाया. सूचना के बाद सिंहभूम के तमाम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में एक नये उत्साह का संचार हुआ और वे नेताजी को देखने व सुनने के लिए उतावला हो उठे.
5 दिसंबर 1939 को कड़ाके की ठंड होने.. के बावजूद हजारों की संख्या में नेताजी के स्वागत के लिए लोग सज-धज कर तैयार हो गये. नेताजी के जमशेदपुर से सड़क मार्ग से हाता होते हुए कालिकापुर आने की सूचना निर्धारित थी, इसलिए नेताजी के स्वागत के लिए लोगों की भीड़ कालिकापुर से सवा किमी पश्चिम में सड़क मार्ग के किनारे खचाखच भर गया था. स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रातः लगभग दस बजे जमशेदपुर के डिकोस्टा साहब की फोर्ड कार से कालिकापुर पहुंचे, पहुंचने के बाद लोगों में दुगुना उत्साह बढ़ा और ‘वंदे ‘मातरम’ की आवाज से पूरा इलाका गुंजायमाय हो उठा. स्वागत के लिए सड़क के दोनों किनारे खड़े महिला-पुरुष एवं बच्चों नेता जी का जोरदार स्वागत किया था |